राजधानी रायपुर में आईटी का छापा तीसरे दिन भी जारी…प्रोडक्टिव यूनिट्स में मारा छापा…नगदी सहित ज्वेलरी बरामद

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टीम में जबलपुर, इंदौर, भोपाल के 150 अधिकारी और 100 पुलिस कर्मी शामिल

रायपुर (khabargali) राजधानी रायपुर में आईटी का छापा आज तीसरे दिन भी जारी है। आयकर की टीमों ने उत्पादक इकाइयों में आज छापा मारा है। यहां से 50 लाख कैश और 21 लाख की ज्वेलरी जब्त किया गया है। पंकज इस्पात और सार्थक टीम समूह सहित तमाम 25 ठिकानों पर छापा मार कार्रवाई की गई है। समूह संचालकों से बयान लिया जा रहा है। अब तक एक करोड़ 55 लाख कैश मिले हैं। एक दर्जन आवासीय परिसर में भी 2 करोड़ के ज्वेलरी मिले हैं। अब तक 7 लॉकर्स का पता चला है। टीम का ज्यादा फोकस कैश कारोबार पर है।

गौरतलब है कि इनकम टैक्स की इन्वेस्टिगेशन विंग की भारी भरकम टीम ने बीते मंगलवार देर रात मिले क्लू के आधार पर बीते बुधवार को आईटी टीम ने 10 और ठिकानों को घेरा। ये सभी ठिकाने ललित अग्रवाल और पंकज अग्रवाल के स्वामित्व वाले हैं। जांच के बाद आईटी अफसरों ने बताया कि अग्रवाल ग्रुप के सभी ठिकाने रायपुर के साथ दुर्ग में ही हैं। कल शाम दो दर्जन ठिकानों से जांच शुरु की गई थी। जो बढ़ते-बढ़ते 40 तक पहुंच गई है। बिजनेस परिसर और बंगलों की जांच की जा रही है। जहां से अब तक की जांच में एक करोड़ रुपए की नगदी और बड़ी मात्रा में ज्वेलरी मिली है। इन आभूषणों की कीमत का आंकलन किया जा रहा है। वैसे अनुमान जताया गया है कि करीब 50 लाख के आभूषण हो सकते हैं। इनके अलावा 4 बैंक लाकर भी मिले हैं। ये सभी रायपुर स्थित बैंकों में है। 

टीम में जबलपुर, इंदौर, भोपाल के 150 अधिकारी और 100 पुलिस कर्मी शामिल हैं। इनका मुख्य ठिकाना पंकज इस्पात और अलायंस ग्लोबल गोगांव में है। अकेले पंकज इस्पात और अलायंस ग्लोबल में ही दो दर्जन अधिकारी जांच कर रहे हैं। जबकि शेष जगह सौ अधिकारियों की टीम रिकार्ड खंगाल रही है। इसके अलावा अलंकार फेरोअलायज, प्रकाश इंडस्ट्रीज व सागर टीएमटी , अग्रसेन चौक में केडिया स्टील, चौबे कॉलोनी में राधेमणि कुंज के अश्वनी अग्रवाल, नगर निगम कालोनी अग्रसेन चौक पर तिरूपति स्टील व अन्य कारोबारी भी जांच के दायरे में हैं। छापेमारी अभी एक -दो दिन और जारी रहने की जानकारी दी गई है। 

तीन साल के रिटर्न पर शक था

सूत्रों के अनुसार विभाग को उक्त कारोबारियों द्वारा बीते तीन सालों में जमा कराए गए आईटी रिटर्न के तुलनात्मक जांच में बड़ा अंतर सामने आया था। उसके बाद से कंपनियों पर बारीकी से नजर रखा गया था।

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