"शराब के ओवर रेट में " में आबकारी अधिकारी और प्लेसमेंट एजेंसी का संरक्षण .. दुकान के सुपरवाइजर-स्टाफ से लेते हैं हफ्ता

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रायपुर (khabargali) प्रदेश की शराब दुकानों में ओवररेट यानि प्रिंट से ज्यादा कीमत पर शराब बेचने की शिकायतें आम हो गई है ! हर रोज लाखों के वारे-न्यारे करने वाले इन शराब दुकानों के प्लेसमेंट कर्मचारियों को सीसीटीवी कैमेरे का भी कोई खौफ नहीं रहता ! क्योंकि इन पर आबकारी अधिकारी और प्लेसमेंट एजेंसी के संरक्षण की कृपा बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार दुकानों के सुपरवाइजर-स्टाफ द्वारा किए ओवर रेट में इन्हें भी मिलता है एक बड़ा हिस्सा। पडताल में पता चला कि, शराब दुकान के सुपरवाइजर ओवररेट का विरोध करने पर साफ कहते है जहां जिसे शिकायत करनी है कर   लो !

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राजधानी के पुरानी बस्ती आश्रम के पास शराब की दुकान से ग्राहकों की बहुत शिकायतें ख़बरगली को मिली है। यहां की दुकान से भी ओवर रेट लेने की शिकायत लगातार मिल रही है। सूत्रों के अनुसार यहां का वर्तमान सुपरवाइजर का पूर्व में भी शराब को ओवर रेट में बेचने का प्रकरण बन चुका है लेकिन आबकारी विभाग के अधिकारियों द्वारा इसे पूरी तरह संरक्षण प्राप्त है। जानकारी मिली है कि उक्त दुकान में प्रदेश के बाहरी लोगों को रखा गया है जो कोचिये की भूमिका निभाते हैं और आए दिन ग्राहकों से अभद्र व्यवहार करते हुए मारपीट करते है। इस बाबत कई बार शिकायत भी लोगों ने की लेकिन अधिकारी और प्लेसमेंट एजेंसी के संरक्षण की वजह से इनकी मौज जारी है।

यहां 26 लाख रुपए का गबन हुआ था

राजधानी रायपुर की पंडरी अंग्रेजी शराब दुकान से सुपरवाइजर समेत स्टाफ द्वारा 26 लाख रुपए डकार लेने का भांडा नई प्रभारी नीलम किरण की पदस्थापना के बाद मामले का खुलासा हुआ। जबकि शराब दुकान में लाखों के गोलमाल का मामला पुरानी प्रभारी सुप्रिया तिवारी के कार्यकाल में सामने आया था। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार जिला आबकारी उपायुक्त अरविंद पाटले ने उच्चस्तरीय निगरानी बिठाने और फिर पुख्ता ऑडिट रिपोर्ट तैयार की गई तो पता चला 26 लाख रुपए की हेराफेरी 6 माह से चल रही थी। इस मामले में आबकारी विभाग संदेह के दायरे में आ गया है ! सवाल यह उठता है कि, अंग्रेजी शराब दुकान की मॉनिटरिंग का जिम्मा संभालने वाले अफसर 6 महीने से गायब हो रही लाखों की रकम की अनदेखी कैसे कर गई ? पुरे छत्तीसगढ़ में शराब की अंग्रेजी व देशी शराब दुकानों की संचालन का जिम्मा जिन प्लेसमेंट एजेंसी के सुपरवाइजरों के हाथों में है वे हजारों की पगार के लिए लाखों का बांड भरकर देते है ! जाहिर तौर पर ओवररेट की तगड़ी कमाई और सरकार को चुना लगाने के लिए वे लाखों का जुआ खेल जाते है ! शराब दुकानों के बाहर लगी बेतरतीब भीड़ से कोरोना के खतरे को अनदेखा कर ये गोरखधंधा बदस्तूर जारी है

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