सराहनीय: इस कलेक्ट्रेट में खुला प्रदेश का पहला पालना घर "मोर दाई के कोरा"

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बच्चों के लिए पौष्टिक आहार, दूध, खेल सामग्री, आउटडोर खेल सामग्री सहित पठन-पाठन की सामग्री होगी उपलब्ध

महासमुंद (khabargali) कामकाजी महिलाओं खासकर महिला मजदूरों की परेशानी यह होती है कि या तो वे काम पर अपने बच्चों को नहीं ले जा पाती जिनसे उनके बच्चे की ठीक ढंग से देखभाल नहीं हो पाती। या फिर बच्चे को काम पर ले जाने के कारण उनके कार्य की अवधि घट जाती है, जिससे उन्हें अच्छी मजदूरी नहीं मिल पाती। इसी समस्या के समाधान के लिए यह मॉडल पालना घर खोला जा रहा है। दरअसल, अब शहर के कलेक्टोरेट परिसर में पालनाघर सर्वसुविधायुक्त "मोर दाई के कोरा" खुल गया है। जहां शासकीय, अर्धशासकीय, प्रायवेट सेक्टरों में काम करने वाली  माताओं के 6 माह से लेकर 5 साल तक के बच्चों को रखा जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार पालनाघर प्रात: 10 बजे से शाम 5 बजे तक संचालित होगा। सिर्फ 2 से 3 दिनों के भीतर ही यह शुरू हो जाएगा। बताया गया कि पूरे प्रदेश में यह मॉडल लाया जाएगा। बताते चलें कि अन्य राज्यों में भी यह योजना शुरू ही चकी है।

विभागीय अधिकारी भी करते रहेंगे निगरानी

 कलेक्टर परिसर में बना यह पालनाघर संभवत: प्रदेश का पहला सर्वसुविधायुक्त पालना घर है। जबकि, राजधानी सहित अन्य जिलों में अब तक पालनाघर किसी सामुदायिक भवन या फिर स्कूलों में संचालित होते रहे हैं। जिला अधिकारी दफ्तर में संचालन होने से बच्चों की यहां उचित देखभाल होगी। साथ ही विभागीय अधिकारी भी यहां समय-समय पर निगरानी करते रहेंगे।

ये सुविधाएं होंगी नन्हों के लिए

यहां बच्चों की देखभाल के लिए पौष्टिक आहार, दूध, खेल सामग्री, आउटडोर खेल सामग्री सहित पठन-पाठन की सामग्रियों की व्यवस्था कर ली गई है। महतारी के कोरा को ऐसा लुक दिया गया है कि यहां आने वाले बच्चों को घर जैसा अनुभव हो।

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