'यमलोक में कोरोना इफेक्ट'

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वरिष्ठ पत्रकार ललित दास मानिकपुरी की व्यंग्य रचना

ख़बरगली (साहित्य डेस्क)

"मैं तो कहता हूँ महाराज अभी आप पृथ्वी पर जाना बंद ही कर दीजिए। यमलोक में लॉकडाउन कर दीजिए और सबसे पहले आप और यमलोक के सारे यमदूत जो विगत कुछ महीनों में पृथ्वी से यात्रा कर आए हैं, सब के सब क्वारेंटाइन हो जाइए।" चित्रगुप्त ने हाथ जोड़कर यमराज से कहा। "ये क्या कह रहे हो चित्रगुप्त, ऐसा कैसे हो सकता है? जिन लोगों का डेथ वारंट कट चुका है, उनको तो यमलोक लाना ही पड़ेगा। भला उनको कैसे छोड़ सकता हूँ? इससे तो पूरी व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी।" यमराज ने कहा।

"महाराज व्यवस्था तो गड़बड़ा ही चुकी है। अब आप ही बताइए जिन लोगों को यमलोक लाया जा रहा है उन्हें आखिर हम कहाँ भेजें? स्वर्ग में भारी विरोध हो रहा है। अरे जो नरक में हैं वो भी बवाल मचा रहे हैं। सब यही कह रहे हैं, इन्हें अंदर नहीं आने देंगे। इस समय हम लोग केवल पाप और पुण्य का हिसाब लगाकर इन्हें स्वर्ग या नरक में नहीं भेज सकते। पृथ्वी के तमाम देशों में इस समय कोरोना वायरस (कोविड-19) फैला हुआ है। इस वायरस के बारे में अभी तक वहाँ के वैज्ञानिक ही ठीक से नहीं जान पाए हैं। यह भी कहा जा रहा है कि यह वायरस हर जगह वहाँ की स्थिति, परिस्थिति के अनुसार खुद को अपडेट कर लेता है। कहीं हमारे यमलोक और स्वर्ग या नर्क में कोरोना आ गया, तब फिर क्या होगा?"

चित्रगुप्त बोले जा रहे थे। उन्हें टोकते हुए यमराज बोल पड़े। "तो तुम्ही बताओ चित्रगुप्त हम क्या करें? हम यमराज हैं। जिनके जीवन की घड़ी समाप्त हो जाती है, उन्हें यमलोक में लाना और उनके पाप-पुण्य का हिसाब लगाकर स्वर्ग या नरक में भेजना हमारा काम है। हम अपने कर्तव्य से किंचित भी विरक्त नहीं हो सकते।"

चित्रगुप्त ने कहा "यही तो समस्या है महाराज कि स्वर्ग या नरक के बीच आपने कोई जगह बनवाई ही नहीं, जहाँ इस समय मर रहे लोगों को अलग से रखा जा सके। भारत में तो उन लोगों को अपने ही गाँव में घुसने नहीं दिया जा रहा है, जो अपने गाँव छोड़कर बाहर रोजी-मजदूरी करने गए थे। ऐसे लोगों को गाँव के बाहर क्वारेंटाइन किया जा रहा है। जो लोग कोरोना से मर रहे हैं, उनके पास तो परिजन भी नहीं फटक रहे। अंतिम क्रिया-कर्म भी सरकारी मुलाजिम कर रहे हैं। मैंने तो यह भी सुना है कि हमारे कुछ यमदूत भी छींक-खाँस रहे हैं।"

 इतना सुनते ही यमराज भड़क गए। बोले- "चित्रगुप्त! तुम कुछ सत्य के साथ कुछ झूठ मिलाकर अफवाह फैलाने का काम कर रहे हो। जैसा कि इन दिनों कुछ धूर्त लोग पृथ्वी में कर रहे हैं। तुम खुद डरे हुए हो और हमें भी डराने का प्रयत्न कर रहे हो। जानते नहीं, हम यमराज हैं, यमराज। ये सब वायरस फायरस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, ये सब मृत्युलोक के लोगों के लिए है। स्वर्ग और नरक दोनों जगह जाकर वहां के निवासियों को समझाओ कि पृथ्वी लोक से आने वाले किसी भी व्यक्ति से उन्हें कोई खतरा नहीं। व्यर्थ का बवाल न मचाएं।"

चित्रगुप्त ने कहा- "खतरा कैसे नहीं है महाराज, जो वायरस चीन के एक वुहान शहर से निकलकर पूरी दुनिया में फैल सकता है, उसका क्या भरोसा कि वो यमलोक को छोड़ दे। मैं स्वर्ग और नर्क के निवासियों को समझा भी लूँ महाराज, किंतु अपने आप को कैसे समझाऊं। पहली बार इतना विचलित हूँ। इन दिनों जिन लोगों को यमदूत पकड़कर ला रहे हैं, उनमें अधिकतर लोग ऐसे हैं जो कोरोना महामारी से नहीं मरे, बल्कि लॉकडाउन के बाद बेरोजगारी के आलम में भूख और प्यास से जूझते हुए, अपने घर लौटने के लिए हजारों किलोमीटर दूर तक पैदल चलते हुए, कहीं ट्रेन से कटकर, कहीं ट्रक से कुचलकर मर गए। बीमारी से ज्यादा गरीब, मध्यमवर्गीय लोगों को यह बेबशी मार रही है। काम-धंधे बंद हो गए हैं, नौकरियां जा रही हैं, लोग दुर्दिन स्थिति से जूझ रहे हैं। ऐसे असहाय लोगों पर दया कीजिए। पूरी दुनिया इस समय कोरोना वायरस से लड़ रही है, इस लड़ाई में दुनिया को जीतने दीजिए महाराज। यदि आप मृत्युलोक से ला सकते हैं तो कोरोना को लाइए और उसे खत्म कर दीजिए। यदि नहीं कर सकते तो यह काम इंसान को करने दीजिए। आप बस इतना सहयोग कीजिए कि अपने यमदूतों को पृथ्वी लोक में अभी न भेजिए। यदि यह भी नहीं कर सकते तो दरबार में मुझसे ये न पूछिए कि किसके कितने पाप-पुण्य हैं। इन बेबश और असहाय लोगों के पाप-पुण्य का हिसाब मैं नहीं बता पाऊँगा महाराज, नहीं बता पाऊँगा।"

यमराज बोले- "तुम्हें पहली बार इतना विचलित देख रहा हूँ चित्रगुप्त। मैं यमराज हूँ, मृत्यु का देवता हूँ। लोगों के प्राण हरणा हमारा काम है। अपने काम से मुँह नहीं मोड़ सकते। किंतु कोरोना को खत्म करना मेरे बस की बात नहीं है। इसे तो इंसान ही खत्म कर सकता है। हाँ, मैं इतना सहयोग जरूर कर सकता हूँ, जहाँ लोग ईमानदारी से कोरोना से लड़ाई लड़ेंगे, नियमों का पालन करेंगे, साफ-सफाई का ध्यान रखेंगे,  मास्क लगाएंगे, जरूरतमंद लोगों की मदद करेंगे, वहाँ के लोग यमदूतों के प्रकोप से बचे रह सकेंगे।"

रचनाकार - ललित दास मानिकपुरी, वरिष्ठ पत्रकार, महासमुंद (छत्तीसगढ़)  मो. - 9752111088, 9753489798