आम बजट देख ऐसा प्रतीत होता है जैसे सरकार की पांचों उंगलियां घी में है

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रायपुर (khabargali) आज का आम बजट देख ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे ये आम बजट आम आदमी,मध्यम वर्गीय परिवार के लिए नही अपितु स्वयं सरकार के लिए एवं कुछ उद्योगपतियों के लिए ये बजट है। काँग्रेस के राष्ट्रीय सचिव,संसदीय सचिव एवं विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि कोरोना काल ने आम आदमी,मध्यम वर्गीय परिवार की कमर तोड़ दी थी कोरोना काल को देख ऐसा प्रतीत हो रहा था कि सरकार मध्यम वर्गीय परिवार,युवाओं एवं गृहणियों के हित मे महंगाई से निजात दिलाते हुए एक अच्छा और शशक्त बजट पेश करेगी पर ऐसा कुछ भी नही हुआ विकास उपाध्याय ने बताया कि ये बजट पूर्णतः सरकार के ओर कुछ उद्योगपतियों के लिए है अर्थात हम ये कहे की इस बजट से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे सरकार की पांचों उंगलियां घी में है कहना गलत नही होगा। बजट ने आम आदमी एवं मध्यम वर्गीय परिवार पर प्रहार करने का काम किया है ये बजट आम आदमी का कमर तोड़ के रख देगा।प्रत्येक वर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने का वादा था रोजगार देना तो दूर जिन युवाओं की नोकरी चली गई उनके हित मे भी कोई निर्णय नही लिया गया।infastracture का सिस्टम ही नही है।घर चलाने वाली महिलाओं का उनके रसोई का बजट पूरी तरह गड़बड़ा जाएगा।विकास उपाध्याय ने कहा कि मंत्री निर्मला सीता रमण जी किसी अर्थशास्त्री से राय शुमारी कर बजट बनाती तो अच्छा होता।