भारत की बॉक्सर बेटी लवलिना ने रचा इतिहास

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असम से आने वाली दूसरी ओलंपियन कभी ट्रैकसूट, इक्विपमेंट और डाइट के लिए जूझती थी

नयी दिल्ली/ Tokyo Olympic 2020 (khabargali@sports desk)

पहली बार ओलिंपिक खेल रहीं नॉर्थ-ईस्ट की 23 साल की भारतीय महिला बॉक्सर लवलिना बोरगोहेन ने सेमीफाइनल मुकाबला हारने के बावजूद इतिहास लिख दिया। वो ब्रॉन्ज लेकर ही भारत लौटेंगी। लवलीना ओलंपिक में भारत की ओर से मेडल जीतने वाली तीसरी बॉक्सर और दूसरी महिला बॉक्सर बन गई हैं। इससे पहले 2012 में मेरीकॉम ने ब्रॉन्ज जीता था।

उम्र और अनुभव का अंतर नजर आया

69 किग्रा वेट कैटेगरी के इस मुकाबले में लवलिना वर्ल्ड नंबर वन तुर्की की बुसेनाज सुरमेली के खिलाफ लड़ रही थीं। उम्र और अनुभव का अंतर साफ नजर आया, पर बुसेनाज को लडख़ड़ा देने वाले लवलिना के कुछ मुक्कों ने बता दिया कि अगली बार के लिए उम्मीदें सुनहरी हैं।

लवलिना ने अटैक करने में देरी की

लवलिना और बुसेनाज के बीच अब तक कोई बाउट नहीं हुई थी। बुधवार को इनके बीच पहली भिड़ंत हुई थी। दोनों ही खिलाडिय़ों के पास एक-दूसरे के खिलाफ लडऩे का अनुभव नहीं था, पर वर्ल्ड नंबर वन बुसेनाज अनुभव में भारी पड़ीं।पहले ही राउंड से उन्होंने लवलिना पर बढ़त बना ली। लगातार पंचेज से ये अंतर और बढ़ता गया। उधर, शुरुआती बाउट में बुसानेज को परख रही लवलिना ने अटैक करने में देरी कर दी। लवलिना के पास हाइट एडवांटेज था। लवलिना की लंबाई 5 फीट 9.7 इंच है। वहीं, तुर्की की मुक्केबाज की लंबाई 5 फीट, 6.9 इंच। लंबाई में 2.8 इंच की बढ़त की एडवांटेज वो हासिल नहीं कर सकीं।

पहले किक बॉक्सिंग करती थीं

लवलिना बॉक्सिंग में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं। वे किक बॉक्सिंग में नेशनल लेवल पर मेडल जीत चुकी हैं। लवलिना ने अपनी जुड़वा बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था और अब इतिहास रच दिया है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के असम रीजनल सेंटर में सिलेक्शन होने के बाद वे बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेने लगी थीं। उनकी दोनों बहनें भी किक बॉक्सिंग में नेशनल स्तर पर मेडल जीत चुकी हैं।

कभी ट्रैकसूट के लिए संघर्ष करना पड़ता था

लवलिना को बचपन में काफी संघर्ष करना पड़ा। उनके पिता टिकेन बोरगोहेन की छोटी सी दुकान थी। शुरुआती दौर में लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था। इक्विपमेंट और डाइट के लिए संघर्ष करना पड़ता था।

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कोविड को मात देकर बनीं चैंपियन

बहुत कम लोगों को मालूम है कि ओलिंपिक के लिए रवाना होने से कुछ महीने पहले कोविड-19 संक्रमित हो गयीं, लेकिन महामारी भारतीय मुक्केबाज का मनोबल नहीं तोड़ सकीं. कोविड को मात देने के बाद लोवलिना ने अपनी ट्रेनिंग बदस्तूर जारी रखी।

असम की पहली महिला

वे असम के गोलाघाट जिले की रहने वाली हैं।लोवलिना असम राज्य से ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली महिला खिलाड़ी और सिर्फ दूसरी मुक्केबाज हैं। उनसे पहले शिवा थापा ने ओलिंपिक में असम से प्रतिनिधित्व किया था। वहीं, लोविलना असम से अर्जुन पुरस्कार जीतने वाली सिर्फ छठी खिलाडी हैं।

मोदी ने लवलिना से फोन पर बात की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रॉन्ज जीतने पर लवलिना को बधाई दी है। उन्होंने फोन पर भारतीय बॉक्सर से बात की और कहा कि उनकी जीत योग्यता का प्रमाण है और ये नारी शक्ति की दृढ़ता को दिखाती है। मोदी ने कहा कि लवलिना की सफलता ने हर भारतीय को गर्व से भर दिया है, खासतौर से असम और नॉर्थ ईस्ट को।

सोशल मीडिया पर डंका बजा

जैसे ही उनकी खबर आयी, सोशल मीडिया पर लोवलिना के नाम का डंका बज गया. देखते ही देखते वह ज्यादातर मंचों पर ट्रेंड करने लगीं, उनके वीडियो वायरल होने लगे, तो गूगल पर उन्हें सर्च करने वालों की संख्या मानो तूफान में तब्दील हो गयी।