NPPA और केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मिनिस्ट्री पर सवालिया निशान
कोरोना महामारी को अवसर के रूप में देख रही हैं फार्मा कंपनियां, मुनाफे पर है ज्यादा ध्यान?
रायपुर (khabargali) आज हम एक महामारी के दौर पर जी रहे हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से कई गरीबों की दवाई के अभाव में जान चली जा रही है। क्योंकि संक्रमण के इलाज से जुड़ी दवाइयों की कीमत 200% से 500% तक महंगी बिक रही है । दवा कंपनियां इस बुरे वक्त पर भी बिजनेस एथिक्स (Business Ethics) का पालन नहीं कर रही है। इसमें सबसे शर्मनाक भूमिका नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ( National Pharmaceutical Pricing Authority ) एवं मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल एंड फर्टिलाइजर की लगती है; जिसे ना कुछ दिखाई दे रहा है ना वह कोई कार्यवाही कर रही है। इन्हें कोविड-19 इलाज के लिए सस्ती दवाओं का प्रचार किया जाना चाहिए। नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी अर्थात NPPA एक राष्ट्रीय एजेंसी है जिसका काम दवाइयों की कीमतों, दवाइयों की सप्लाई एवं मरीजों को उचित दवाई समय पर उचित मूल्य पर मिले; यह सुनिश्चित करना है। केंद्र सरकार की यह मिनिस्ट्री पूर्णता कर्तव्य विमुख एवं भ्रष्ट प्रतीत होती है।इस पूरे खेल में केवल और केवल फार्मा कंपनी को फायदा हो रहा है किंतु कोरोना के अन्य मामलों की तरह हमारी सरकारें इस विषय पर भी लंबी चुप्पी साधी हुई है तथा पूर्णतया अकर्मण्यता की स्थिति में है।
छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी द्वारा संयोजक डॉ कुलदीप सोलंकी ने एक बुलेटिन जारी कर नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी अर्थात NPPA एवं मिनिस्ट्री ऑफ केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स की अदूरदर्शिता, अकर्मण्यता को उजागर किया है। छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी की रिसर्च टीम ने यहां मात्र 3 दवाइयों के उदाहरण शेयर किये हैं। ऐसा अमूमन हर दवाई में होता है।
1. कोरोना संक्रमण की मुख्य दवा रेमडेसीविर (REMDESVIR) है। इसकी कीमत Zydus company ₹2800/- प्रति 100 मिलीग्राम ले रही है जबकि HETERO ₹5400/- वसूल रही है। अर्थात 192% ज्यादा। ऐसा क्यों?
रेमदेसीविर (Remdesvir) GILLEAD कंपनी का रिसर्च प्रोडक्ट है तथा कोविड-19 के इलाज में सबसे महत्वपूर्ण दवा है। कुछ दिनों पूर्व तक इस इंजेक्शन की खूब कालाबाजारी पूरे देश में हुई तत्पश्चात सरकार ने यह नियम आवश्यक कर दिया कि केवल पॉजिटिव मरीज को आधार कार्ड व अन्य डॉक्यूमेंट देने पर ही यह इंजेक्शन मुहैया कराया जाएगा। इस प्रकार कालाबाजारी तो कम हो गई । हमारी रिसर्च टीम को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि एक ही इंजेक्शन की विभिन्न फार्मा कंपनियां 200% तक अधिक दाम ले रही हैं। हम ब्रांड नेम, बेचने वाली कंपनी तथा उसका एमआरपी शेयर कर रहे हैं। ZYDUS कंपनी एक इंजेक्शन ₹2800/- एमआरपी में बेच रही है वही HETERO कंपनी ₹5400 का दाम वसूल रही है।
Brand. Conpany. Price
1) REMDAC- ZYDUS-. ₹2800
2) CIPREMI- CIPLA - ₹4000*
3) COVIFOR - HETERO - ₹ 5400
4) DESREM - MYLAN -₹ 4800
5) JUBI-R - JUBILANTS - ₹ 4700
2. विटामिन सी जैसी साधारण दवाई एक कंपनी NOVA LIFESCIENCES ₹1 प्रति गोली के दर पर बेच रही है वही Zuventus ₹5.33 पैसे वसूल रही है। अर्थात 533% ज्यादा। ऐसा क्यों?
अपनी बात को और अच्छी तरह समझाने हेतु हम दो सिंपल दवाइयां विटामिन C एवं IVERMECTINE गोली की कीमत का भी ब्यौरा दे रहे हैं । यह दोनों ही दवाई कोविड-19 के बचाव एवं उपचार में इस्तेमाल होती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसमें भी 200% से 550% तक एमआरपी में फर्क है। इसे बेहतर समझाने के लिए हम पहले विटामिन सी का टेबल आपके साथ शेयर कर रहे हैं। Vitamin C की NOVA LIFESCIENCES कंपनी एक गोली को ₹1 में बेच रही है वहीं दूसरी ओर ZUVENTUS कंपनी उसी गोली के ₹4. 33 पैसे वसूल रही है।
Brand Conpany Price
1) NOVAVIT C - NOVA LIFESCIENCE - 1/TAB
2) ZU C- ZUVENTUS- 5.33/TAB
3)LIMCEE- ABBOTT - 1.53/ TAB
4) CELIN - KOYE PHARMA- 1.53/TAB
5) REDOXON - PIRAMAL - 1/ TAB
क्या यह एक प्रकार की अराजकता एवं शोषण नहीं है।
3. आईवरमेक्टिन (IVERMECTIN) कोविड-19 के प्रत्येक मरीज को देनी होती है तथा यह रोकथाम में भी काम आती है। इसकी एक गोली KIWI कंपनी ₹11.75 प्रति गोली में दे रही है वही ZUVENTUS कंपनी ₹42.50 चार्ज कर रही है। अर्थात 360% अधिक। क्या यह यह व्यवस्था ठीक है?
हम इवरमेक्टिन (Ivermectin ) की कीमतों पर नजर डालते हैं। जिसकी एक गोली KIWI कंपनी ₹11.75 में बेच रही है वहीं दूसरी ओर ZUVENTUS ₹42 75 पैसे चार्ज कर रही है।
Brand. Conpany. Price
1) ZETTA -. KIWI. ₹11.75/tab
2) IVERMACT -. Mankind ₹38/tab
3) SCAVISTA - ZUVENTUS ₹42.75/tab
छत्तीसगढ़ सिविल सोसाइटी अपने समस्त सदस्यों के माध्यम से पूरे देश की जनता से अपील किया है कि आप मेडिकल स्टोर पर जाकर इस बुलेटिन में दिए हुए चार्ट के अनुसार जो सबसे सस्ती ब्रांड है उसे खरीदें ताकि वाजिब दाम पर काम करने वाली फार्मास्यूटिकल कंपनी को प्रोत्साहन मिले तथा मुनाफाखोरी करने वाले लोगो को सबक सिखाया जा सके।
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