Khabargali @ Ajay saxena
किसी ने सोचा भी नही था कि अचानक कुछ ऐसा होगा कि सब कुछ बदल जायेगा..आम जनता को अपने घरों में ही रहना होगा और अखबारों, न्यूज़ चैनलों और पोर्टलों के माध्यम से वैश्विक महामारी कोरोना से पटी खबरों से रूबरू होना पड़ेगा। पूरे विश्व पटल पर इन दिनों कोरोना ही छाया है ..इसकी काली छाया हमारे देश पर भी पड़ी है और इसके खिलाफ हमारी जंग भी जोरों से जारी है। लेकिन इसके संक्रमण का खौफ़ भी सब पर भारी है। क्योंकि अभी तक आप सब भी इस वायरस से जुड़े तथ्यों को जान चुके है..पर अभी हाल में आए कोरोना वायरस संक्रमण से जुड़े नए तथ्य ने सबकी चिंता बढ़ा दी है, नया खतरा बिना कोरोना वायरस के लक्षण वाले बढ़ते मरीजों की है। बात हो रही है लोकतन्त्र के चौथा स्तम्भ माना जाने वाले मीडिया की जो इन खतरनाक हालातों में भी दिन-रात समाचार संकलन और इसके प्रकाशन और प्रसारण में लगा है। ऐसे समय में जब हर किसी को घर मे ही रहने को कहा जा रहा है। देश का पत्रकार अपनी जान जोखिम डाल सड़कों, गलियों में घूम-घूम कर समाचार संकलित कर रहा है और रोज देश की जनता को असल वस्तुस्थिति से अवगत करा रहे हैं। वहीं मीडिया कार्यालयों के डेस्क के अलावा अन्य महत्वपूर्ण विभागों में काम कर रहे कर्मचारी भी तालाबंदी के समय अपने घरों से निकल कर देश की सेवा में लगे है। मुंबई में 53 से ज्यादा मीडियाकर्मी इस वायरस से संक्रमित पाए गए है अब ऐसी अवस्था में पत्रकारिता कितनी जोखिमभरी होगी, इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।
मुंबई में कई मीडियाकर्मी संक्रमित
कल आई खबर ने इस पेशे से जुड़े लोगों और उनके परिवारजनों को भयभीत कर दिया है। मुंबई में 53 मीडियाकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें से अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े हुए हैं। पिछले सप्ताह एक स्पेशल कैंप में मीडियाकर्मियों का परीक्षण किया गया था, जिसमें करीब 53 पत्रकार कोरोना संक्रमित पाए गए। टीवी जर्नलिस्ट असोसिएशन के अध्यक्ष विनोद जगदाले ने भी इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि अभी तक प्राप्त परीक्षण रिपोर्ट की संख्या उपलब्ध नहीं है, मगर करीब 53 पत्रकार कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। विनोद ने कहा कि इस आंकड़े के और भी ऊपर जाने की आशंका है।
मीडिया कर्मियों का मानवीय पक्ष
इस वैश्विक आपदा में स्वास्थ्य औऱ पुलिस कर्मियों के साथ देश के पत्रकार भी बड़ी ईमानदारी से अपने पत्रकारिता धर्म को निभा रहे हैं। इस संकट की घड़ी में मीडियाकर्मी फील्ड और कार्यालयों में काम कर कोरेना वायरस के संक्रमण की स्थिति, बढ़ते- घटते रोगियों की संख्या , इलाज संबंधी व्यवस्था और लोगों द्वारा हो रही चूक बताने के कर्तव्यों के अलावा अपने मानवीय पक्ष का भी निर्वहन भी कर रहा है। चाहे वह खाद्यान्न वितरण से स्मबंधित हों, या भोजन पैकेट वितरण से संबन्धित हों, इन सबमें भी अपना योगदान कर रहा है। क्योंकि पत्रकारों को ही जानकारी है कि कहाँ सरकार द्वारा दी गई सुविधाएं पहुँच रही हैं और कहाँ नहीं ? कहाँ के लोगों को भोजन मिल रहा है ? कहाँ के लोगों को नहीं ? इसकी भी सूचना वह सरकार और प्रशासन दोनों को दे रहा है।
सरकार से है मीडियाकर्मियों की अपेक्षा
पत्रकारों को सरकार और प्रशासन से बहुत उम्मीदे भी हैं, लेकिन किसी ने उनकी व्यथा और जोखिम को नहीं समझा । न किसी प्रकार की सहूलियत देने की घोषणा केंद्र सरकार ने की और न किसी प्रकार की मदद देने की घोषणा राज्य सरकारों ने की । किसी पत्रकार को कल कुछ हो जाए, तो उसके परिवार का क्या होगा ? इसकी चिंता हर पत्रकार को है। कई पत्रकारों ने ख़बरगली को चर्चा के दौरान बताया कि वे रोज सुबह मुंह पर मास्क लगाए घर से निकल जाते हैं। और देर शाम को घर लौटते हैं। इस दौरान उनके घर वालों का कई बार फोन आता है। कोरेना संक्रमण की वजह से उनका परिवार सतत चिंतित रहता है। कम से कम महाराष्ट्र सरकार की तरह सभी राज्यों को चाहिए कि स्पेशल कैंप लगाकर मीडियाकर्मियों और उनके परिजनों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाए।
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