हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: करंट लगने से किसी भी इंसान की मौत पर बिजली विभाग होगा जिम्मेदार

Advocate Sunder Singh, Electricity Department, CREDA, Chhattisgarh Renewable Energy Development Agency, Ravindra Kumar Sahu, High Tension Line, Electricity, Current, Shock, Shock, Compensation, Justice Gautam Bhaduri of Chhattisgarh High Court, Khabargali

बिलासपुर (khabargali) आपने अक्सर आम आदमी की बिजली के करंट लगने से मृत्यु की खबर पढ़ी होगी लेकिन मृतक के परिवार में इस घटना का असर, उनकी आपबीती को आप नहीं जान पाते। अभी तक पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा पाने जो संघर्ष करना पड़ता था अब उस पर सुनवाई हुई है।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 2 साल पहले करंट की चपेट में आकर जान गंवाने वाले बिजली विभाग के कर्मचारी के मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि अगर किसी व्यक्ति की हाईटेंशन लाइन की चपेट में आने से मौत होती है तो इसके लिए बिजली विभाग जिम्मेदार होगा। साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मुआवजे के तौर पर 4.5 लाख रुपए भी देने का आदेश क्रेडा को जारी किया है।

2019 में रविन्द्र साहू की करंट से हुई थी मौत

याचिकाकर्ता ओमप्रकाश का बेटा रविन्द्र कुमार साहू बिजली विभाग के अधीन क्रेडा (छत्तीसगढ़ रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) की ओर से लगाए गए सौर संयंत्र में मेंटेनेंस का काम करता था। लेकिन 12 दिसंबर 2019 में काम के दौरान रविन्द्र हाईटेंशन लाइन के संपर्क में आ गया, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। जवान बेटे को खोने के बाद पिता ने बिजली विभाग में मुआवजे के लिए आवेदन पेश किया, पर उस पर कोई भी सुनवाई नहीं की गई। इसके बाद रविंद्र के पिता ओम प्रकाश ने अधिवक्ता सुशोभित सिंह, कुमार साहू और चंद्र कुमार के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

"कठोर दायित्व" सिद्धांत के तहत सदैव उत्तरदायी

अधिवक्ता सुशोभित सिंह ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया कि यदि कोई संस्था, विभाग या फिर कंपनी कोई खतरनाक प्रकृति का काम करती है, जिससे कोई अप्रिय घटना हो सकती हो तो ऐसी संस्था "कठोर दायित्व" सिद्धांत के अंदर सदैव उत्तरदायी होगी। उन्होंने हाईकोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मध्य प्रदेश विद्युत मंडल वर्सेस शैल कुमारी केस में जारी किए गए फैसले को भी आधार बनाकर पेश किया। इसके बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए विद्युत विभाग को आदेश जारी किया है कि वह याचिकाकर्ता को 4.5 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर भुगतान करे।

आम नागरिकों पर भी लागू होगा यह आदेश

अधिवक्ता सुशोभित सिंह ने बताया कि अगर किसी आम नागरिक की भी मौत बिजली विभाग की ओर से लगाए गए हाईटेंशन तार के संपर्क में आने से होती है तो तो ऐसे मामले में उस मौत की जिम्मेदारी बिजली विभाग की होगी।