राज्यपाल हो तो अनुसूईया जैसी.. औचक निरीक्षण पर पहुंची जिला अस्पताल, अव्यवस्था देख डाक्टरों को लगाई जमकर फटकार

Anusaiya Uike
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राज्यपाल के औचक निरीक्षण से अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया

रायपुर (खबरगली) छत्तीसगढ़ की पहली महिला और आदिवासी राज्यपाल अनुसूईया उइके देश के तमाम राज्यपालों से कई मायनों में बेहद विशिष्ठ हैं. वे आम जनता की मूलभूत समस्याओं को लेकर बेहद संवेदनशील भी हैं. इस बात का गवाह बना राजधानी का कालीबाड़ी स्थित अस्पताल.  राज्यपाल महोदया मंगलवार को शासकीय अस्पताल की व्यवस्था और मरीजों का हालचाल जानने के लिए वे औचक निरीक्षण पर कालीबाड़ी स्थित अस्पताल पहुंच गई. उसके बाद नजारा देखने लायक था.

अस्पताल प्रबंधन सन्न रह गया

राज्यपाल के औचक निरीक्षण से अस्पताल प्रबंधन में हड़कंप मच गया. इस दौरान वे अस्पताल के हर वार्ड में पहुंची और सुविधाओं से लेकर इलाज तक का जायजा लिया. वार्ड में पहुंचने पर उन्होंने मरीजों से इलाज के बारे में जानकारी ली साथ ही अस्पताल की व्यवस्थाओं को लेकर भी पूछताछ किया. औचक निरीक्षण के दौरान पेयजल व्यवस्था को लेकर उन्होंने जमकर अपनी नाराजगी जाहिर की. निरीक्षण के दौरान जब से पेयजल स्थल पर पहुंची और उसकी व्यवस्था देखी तो उन्होंने डॉक्टरों को जमकर फटकार लगाते हुए सवाल किया कि मरीजों को क्या यही पानी पिलाते हैं?
राज्यपाल की फटकार के बाद अस्पताल के डाक्टर घबरा गए और उन्होंने अस्पताल की तमाम व्यवस्थाओं को तुरंत दुरुस्त करने के साथ ही मरीजों का अच्छा इलाज करने के साथ ही और सुविधाओं को बेहतर करने का आश्वासन दिया.

जानें राज्यपाल अनुसूईया उइके को

अनुसुइया उइके राजनीति में आने से पहले 1982 में वह शासकीय महाविद्यालय तामिया में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत थीं। यह महाविद्यालय उस दौर में जिस भवन में चलता था वर्तमान में वहां विकासखंड शिक्षा अधिकारी का कार्यालय है। 1985 में राजनीतिक शुरुआत- अपने तीन दशक से भी अधिक लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के कई अहम पदों पर काम किया है। उन्हें 1985 में पहली बार उन्हें मध्यप्रदेश विधानसभा सदस्य के रूप में चुना गया था। इसके बाद 1988 और 1989 के बीच वह महिला एवं बाल विकास मंत्री बनीं। साल 2000 में वह राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य बनीं और पांच साल तक सदस्य बनी रहीं। जनवरी 2006 में वह मध्य प्रदेश आदिवासी आयोग की अध्यक्ष बनीं। इस पद पर उन्होंने दो महीने तक सेवा दी। 

 2006 में पहली बार चुनी गईं राज्यसभा सदस्य

2006 में ही उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में चुना गया। इसके बाद वह सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता समिति की सदस्य बनीं। इसी साल वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति, हिंदी सलाहकार समिति, खाद्य प्रसस्करण मंत्रालय, महिला एव बाल विकास मंत्रालय और दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के अनौपचारिक परामर्शदात्री समिति की सदस्य भी बनीं। आदिवासी अधिकारों के लिए काम- अनुसुइया उइके ने महिलाओं, विशेषकर आदिवासी महिलाओं को न्याय दिलाने और उनकी सम्याओं के समाधान में विशेष रूचि ली। आदिवासी महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने का काम किया।

 भाजपा के साथ लंबा जुड़ाव

भाजपा के साथ उनका जुड़ाव बहुत लंबा चला। पार्टी ने उन्हें 1993 और 1998 के चुनाव में दमुआ और लखनादौन विधानसभा क्षेत्रों से उम्मीदवार बनाया। 1993-1997 के बीच वह पार्टी के भीतर कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, भाजपा की राज्य सचिव भी बनीं। इसके अलावा उइके भाजपा युवा मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भाजपा आदिवासी मोर्चा की कार्यकारी सदस्य भी रहीं। 

मप्र के सीएम कमलनाथ ने की थी तारीफ 

उइके साल 2018 में तब चर्चाओं में आईं जब उन्होंने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की प्रशंसा की, जो कि कांग्रेस पार्टी से हैं। उइके उस समय राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उपाध्यक्ष थीं। कमलनाथ की प्रशंसा के बाद सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलने लगी कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रही हैं। तब उइके ने कहा था कि कांग्रेस को मुझसे माफी मांगनी चाहिए।

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