ऋचा जोगी के अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र को कर दिया गया निरस्त

Khabargali desk

रायपुर(khabargali)। छत्तीसगढ़ उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की धर्मपत्नी ऋचा जोगी के अनुसूचित जनजाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया है। समिति ने सभी पक्षों की सुनवाई करने के बाद यह फैसला लिया है। समिति के फैसले के मुताबिक ऋचा जोगी के पिता क्रिश्चियन थे।

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद मरवाही विधानसभा उपचुनाव के दौरान ऋचा जोगी की जाति के प्रमाणपत्र का मुद्दा उठा था। उनकी जाति गोंड को जिला स्तरीय प्रमाण पत्र सत्यापन समिति जिला मुंगेली के खारिज कर दिया था। इसके बाद उनका नामांकन निरस्त कर दिया था। इसकी शिकायत संतकुमार नेताम ने की थी। उन्होंने ही पूर्व मुख्यमंत्री जोगी की जाति को लेकर भी शिकायत की थी। इसके बाद यह प्रकरण उच्च स्तरीय छानबीन समिति के पास गया। समिति ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है। समिति की ओर से जारी आदेश के मुताबिक ऋचा जोगी को समिति ने कई बार अपना पक्ष रखने का समय दिया, लेकिन वो मौजूद नहीं हुई। बाद में उन्होंने 10 जून 2021 तक का समय मांगा था। इसके बाद वे अपने सही तथ्य समिति के सामने नहीं रख सकीे।

पिता की सर्विस बुक में क्रिश्चियन लिखा

रिपोर्ट के मुताबिक ऋचा जोगी के पिता प्रवीण राज साधु शासकीय सेवक थे। उनके सेवा अभिलेख में क्रिश्चियन लिखा हुआ है। वहीं विभाग के अभिलेख के अनुसार वे सामान्य वर्ग के शासकीय सेवक थे। उन्होंने कभी भी अनुसूचित जनजाति के लिए निर्धारित शासकीय सुविधाओं का लाभ नहीं लिया है जबकि उन्हें शासकीय नियम-निर्देशों और प्रावधानों का समुचित ज्ञान था। उसी तरह जमीन की खरीद बिक्री दस्तावेज में प्रवीण राज साधु ने खुद को गैर आदिवासी बताया है। कमेटी के मुताबिक पेंड्रीडीह के ग्रामीणों ने भी कहा है कि ऋचा जोगी के परिवार ने खुद को गैर आदिवासी घोषित किया हुआ है और इनका गोंड जाति से कोई लेना-देना नहीं है।

समिति में चार आईएएस शामिल

इस कमेटी में 4 आईएएस शम्मी आबिदी, कमलप्रीत सिंह, डीडी सिंह, भुवनेश यादव समेत 6 सदस्य थे। कमेटी ने अलग-अलग पहलुओं पर जांच करते हुए ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त करने की अनुशंसा की है, साथ ही ये भी कहा है कि मुंगेली कलेक्टर इस मामले में कार्रवाई करें।

19 पेज का आदेश जारी

इस कमेटी ने इस प्रकरण से जुड़े सारे तथ्यों पर पैनी नजर रखी हुई है। यही वजह है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विस्तार के साथ 19 पेज में अपना आदेश जारी किया है।