राजस्थान और उड़ीसा सरकारों की तरह छत्तीसगढ़ में पटाखों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने की ख़बरगली की अपील
कोरोना संक्रमित और श्वसन संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों के स्वास्थ्य के लिए पटाखे खतरनाक
रायपुर (khabargali) स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने सिविल लाइन स्थित अपने शासकीय आवास में स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार वायु प्रदूषण एवं इसके खतरों के बारे में जागरूक करने वाले पोस्टर का विमोचन किया। राज्य शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा संचालित राज्यव्यापी अभियान के तहत लोगों को जागरूक करने के लिए ये पोस्टर तैयार किए गए हैं। इन पोस्टरों के माध्यम से लोगों को वायु प्रदूषण के खतरों, इससे होने वाली बीमारियों और उनसे बचाव के बारे में जागरूक किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने अभियान की सफलता के लिए स्वास्थ्य विभाग को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वर्तमान कोविड-19 महामारी के दौर में वायु प्रदूषण का बढ़ता स्तर लोगों के लिए खतरनाक और जानलेवा हो सकता है। सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण का स्तर बढऩे से स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषण का ऊंचा स्तर और कोरोना संक्रमण का संयोजन खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है। सिंहदेव ने उम्मीद जताई कि यह अभियान राज्य के प्रत्येक नागरिक तक पहुंचेगा और उन्हें वायु प्रदूषण के खतरों, इससे होने वाली बीमारियों और उनसे बचाव के बारे में जागरूक करेगा। राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र के निदेशक डॉ. समीर गर्ग, जलवायु परिवर्तन के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन और स्वास्थ्य विभाग के उप संचालक डॉ. जी. राव भी पोस्टर विमोचन के दौरान मौजूद थे।
ख़बरगली की अपील..नो पटाखा..इस बार सिर्फ रौशनी वाली दीवाली
विश्व में हर साल प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत
कोरोनाकाल में लंग्स इंफेक्शन के केस तेजी से बढ़े हैं। कोरोना संक्रमित होने से लेकर निगेटिव आ जाने के बाद भी वायरस का असर रहता है और फेफड़े कमजोर रहते हैं। शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है। ऐसे में पटाखे जलाकर हम सल्फर डाइआक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें ही पैदा करेंगे और ऑक्सीजन बहुत कम कर देंगे। एक फुलझड़ी करीब 70 सिगरेट और एक अनार करीब 35 सिगरेट के बराबर धुआं फैलाता है। एक छोटा पटाखा 10 लीटर और बड़ा पटाखा 100 लीटर ऑक्सीजन को खत्म कर देता है। पर्यावरण में इससे ऑक्सीजन का लेबल कम हो जाता है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार विश्व में हर साल प्रदूषण से 70 लाख लोगों की मौत होती है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पटाखे कितने खतरनाक हैं ।
पटाख़े फेफड़ों के लिए बेहद खतरनाक
कोरोना के साथ काॅर्डियक, अस्थमा, ब्लड प्रेशर और सांस के रोगी, गर्भवती महिलाओं व बच्चों को जोखिम है। तेज धमाकों से सुनने की शक्ति कम हो जाती है। लोगों की आंखों में जलन, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अस्थमा जैसी बीमारी हो जाती है। भारी पार्टिकल्स जैसे लैड सल्फर, कोबाल्ट, मरकरी, मैग्नीशियम, बेरियम, स्क्रोल सीएम आदि निकलते हैं। ये फेफड़ों पर बुरा प्रभाव डालते हैं।
पटाखों में इस्तेमाल होते हैं जहरीले रसायन
पटाखों में इस्तेमाल रसायन बेहद खतरनाक है। कॉपर, कैडियम, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे रसायन का मिश्रण पटाखों को घातक बना देते हैं। इससे 125 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि होती है। इसका धुआं हवा खराब करता है। लोगों की श्वास नली में रुकावट, गुर्दे में खराबी और त्वचा संबंधी बीमारियां हो जाती हैं।
ख़बरगली की अपील
ख़बरगली इस खबर के माध्यम से राज्य सरकार से अपील करती है कि राजस्थान और उड़ीसा सरकारों की तरह छत्तीसगढ़ में पटाखों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाए। ख़बरगली आम जनता से भी अपील करती है कि इस कोरोना संक्रमित मरीजों और श्वसन संबंधित बीमारियों से पीड़ित मरीजों के स्वास्थ्य को देखते हुए इस दीवाली पटाखे से दूरी बनाएं।
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