3000 करोड़ की बोली लगा कर फिर टाटा की हुई " एयर इंडिया"

Air India, Tata Company, JRD Tata, The Tata Group - From torchbearer to trailblazers, Indian Aviation, Gauri Shankar' , India, Khabargali

नयी दिल्ली (khabargali) सरकार के लिए घाटे का सौदा बन चुकी एयर इंडिया 67 सालों के बाद अब फिर से टाटा की झोली में आने वाली है। एयर इंडिया के लिए टाटा कंपनी सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली बनकर उभरी है। नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक सब कुछ बनाने वाले टाटा ग्रुप के हाथ में अब एयर इंडिया की कमान भी पहुंच चुकी है। गौरतलब है कि एयर इंडिया की बुनियाद जेआरडी टाटा ने 1932 में रखी थी। तब से लेकर इस कंपनी के खाते में तमाम उपलब्धियां दर्ज हैं। यह एशिया की पहली ऐसी एयरलाइन है जिसने सबसे पहले अपने बेड़े में जेट एयरक्राफ्ट को जोड़ा था। 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण हो गया।

3000 करोड़ की बोली लगी !

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए 3000 करोड़ रुपये की बोली लगाई है, जो सरकार की तरफ से तय किए गए मिनिमम रिजर्व प्राइस से अधिक है। बेहद लगाव था जेआरडी को एयर इंडिया से शशांक शाह ने अपनी किताब 'द टाटा ग्रुप- फ्रॉम टॉर्चबियरर टु ट्रेलब्लेजर्स' में जेआरडी के एयर इंडिया से बेइंतहा मोहब्बत को भी बयां किया है। वह एयरलाइन के काउंटर को गंदा देखते, तो कपड़ा उठाकर उसे खुद साफ करने लगते और वहां मौजूद लोग शर्म में गड़ जाते। एक बार तो कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने अपनी कमीज के बाजू ऊपर चढ़ाए और प्लेन के टॉइलट में घुसकर क्रू मेंमर्स के साथ टॉयलट साफ करने में जुट गए। टाटा के लिए अपनी यह एयलाइन एक उड़नपरी सरीखी थी। वह उसका खयाल रखते। अंदर की साज-सज्जा से लेकर, एयर होस्टेस की ड्रेस तक में टाटा की नफीस पसंद झलकती।

1932 में पहली उड़ान भरी

जेआरडी टाटा इंडियन एविएशन के पितामह थे। 1932 में उन्होंने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की। 15 अक्टूबर 1932 को इसने पहली बार उड़ान भरी। उद्घाटन जेआरडी टाटा ने की। पहली फ्लाइट कराची से बॉम्बे की रही जो आगे चेन्नई तक गई। उस पहली फ्लाइट के पायलट थे नील विंसेंट जो जेआरडी टाटा के दोस्त भी थे। शुरुआत में कराची, अहमदाबाद, बॉम्बे, बेल्लारी और मद्रास के बीच हवाई सेवा शुरू हुई। 1939 तक त्रिवेंद्रम, दिल्ली, कोलंबो और लाहौर तक रूट का विस्तार हो गया।

ऐसे नाम हुआ एयर इंडिया लिमिटेड

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 1946 में टाटा एयरलाइंस को लिमिटेड कंपनी में बदल दिया गया। नई कंपनी का नाम एयर इंडिया लिमिटेड हो गया। 2 साल बाद टाटा ने 1948 में एयर इंडिया इंटरनेशनल लिमिटेड नाम से एक और कंपनी बनाई और अंतरराष्ट्रीय उड़ान सेवा शुरू की। तब बॉम्बे (मुंबई) और काहिरा, जिनेवा और लंदन के बीच हवाई सेवा शुरू हुई।

1960 में एयरक्राफ्ट गौरी शंकर' को जोड़ा

एयर इंडिया की बुनियाद रखने वाले जेआरडी टाटा की वजह से इस कंपनी के खाते में तमाम उपलब्धियां दर्ज हैं। यह एशिया की पहली ऐसी एयरलाइन है जिसने सबसे पहले अपने बेड़े में जेट एयरक्राफ्ट को जोड़ा था। फरवरी 1960 में एयर इंडिया ने बोइंग 707 के रूप में पहले जेट एयरक्राफ्ट को जोड़ा था। उसका नाम रखा गया 'गौरी शंकर'।

मोहताज चीनी प्रधानमंत्री की मदद की थी

जब चीन समेत एशिया की बड़ी शक्तियों के पास आधुनिक विमान नहीं थे तब हिंदुस्तान में उस वक्त के बेहतरीन एयरक्राफ्ट थे। 1955 में चीन के प्रधानमंत्री झाउ एलनाई को गुट-निरपेक्ष आंदोलन के कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए इंडोनेशिया जाना था। तब चीन के पास इतनी दूरी तक यात्रा करने लायक विमान नहीं थे। तब इंडियन एयलाइंस के ही एक विमान से चीनी प्रधानमंत्री और उनकी टीम ने हॉन्ग कॉन्ग से बांडुंग तक का सफर किया।

नाम बदलकर एयर इंडिया हुआ

1953 में भारत सरकार ने सभी भारतीय एयलाइंस का राष्ट्रीयकरण कर दिया। घरेलू उड़ान सेवा के लिए इंडियन एयरलाइंस कॉर्पोरेशन और इंटरनेशनल सर्विस के लिए एयर-इंडिया इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन का गठन हुआ। 1962 में एयर इंडिया इंटरनेशनल का नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया।

अब फिर असली मालिक के पास पहुँची कंपनी

2007 में सरकार ने इंडियन एयरलाइंस का एयर इंडिया में विलय कर दिया। अब घाटे से परेशान सरकार एयर इंडिया को बेचने जा रही है जिसके लिए सबसे ज्यादा बोली टाटा ने लगाई है। अगर सब कुछ सही रहा तो जल्द ही एयर इंडिया की घर वापसी होने जा रही है यानी पुराने मालिक के पास पहुंचने वाली है।