कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर गई
महंगी EMI से राहत की उम्मीदों पर भी फिर सकता है पानी
इधर वाणिज्य सचिव ने कहा- नहीं होगा भारतीय निर्यात प्रभावित
नई दिल्ली (khabargali) ईरान की तरफ से इजराइल पर किए गए हमले के साथ ही पूरी दुनिया के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। ईरान और इजरायल के बीच तनाव के चलते महंगाई बढ़ सकती है । कच्चे तेल की कीमतें फिर से 100 डॉलर प्रति बैरल की ओर बढ़ती दिख रही हैं, जिससे आयात पर निर्भर भारत जैसे देशों पर दबाव बढ़ गया है। इस युद्ध के माहौल के बीच और सीरिया में एयर स्ट्राइक के बाद ही ब्रेंट की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई। भारत पर अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों का काफी ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। क्योंकि यह अपनी जरूरतों का 85% से ज्यादा अन्य देशों से आयात करता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों का असर देश में बिकने वाले पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमतें में भी देखने को मिलता है।
हालंकि वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा है कि इजरायल-ईरान विवाद से भारत का निर्यात फिलहाल प्रभावित नहीं होने जा रहा है। क्योंकि यह क्षेत्रीय स्तर का विवाद है। अगर यह विवाद लंबा चलता है तो निश्चित रूप से हम नीतिगत कदम उठाएंगे जो उस समय की स्थिति पर निर्भर करेगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय इजरायल-ईरान विवाद पर लगातार नजर रख रहा है। शिपिंग मंत्रालय के साथ पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ भी लगातार संपर्क रखा जा रहा है। विवाद की वजह से लॉजिस्टिक लागत बढ़ने की आशंका है जिससे निर्यात लागत बढ़ जाएगी। पेट्रोलियम के लिए भारत आयात पर ही निर्भर करता है, इसलिए इसके आयात में हर रुकावट को लेकर नजर रखी जा रही है।
लाल सागर का व्यवधान और बढ़ेगा- अश्विनी कुमार
दूसरी तरफ फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने बताया कि इजरायल-ईरान विवाद से पहले से चले आ रहे लाल सागर का व्यवधान और बढ़ेगा जिससे माल ढुलाई व इंश्योरेंस की लागत में और बढ़ोतरी होगी।
महंगाई से राहत मिलने की उम्मीदों पर फिर सकता है पानी
ईरान और इजरायल के बीच तनाव के महंगी ईएमआई से राहत मिलने की संभावना फिलहाल खत्म होती नजर आ रही है। महंगी ईएमआई से परेशान लोग इस साल की दूसरी छमाही में सस्ते कर्ज से राहत मिलने की उम्मीदें पाले हुए थे। लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिका में मार्च महीने में महंगाई दर में उछाल और ईरान के इजरायल पर हमले के बाद से सस्ती ईएमआई की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। 12 अप्रैल 2024 को सांख्यिकी मंत्रालय ने डेटा जारी कर बताया कि मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी से घटकर 4.85 फीसदी पर आ गई और ये आरबीआई के टोलरेंस बैंड के कुछ ही फासले की दूरी पर है। खुदरा महंगाई दर भले की घट गई हो लेकिन खाद्य महंगाई दर अभी भी 8.52 फीसदी बनी हुई है और दालों की महंगाई दर सबसे ज्यादा आम लोगों को परेशान कर रही है। वैश्विक तनाव के चलते कच्चा तेल 90 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया। लेकिन ईरान के इजरायल पर ड्रोन और मिसाइल से हमले के बाद ये माना जा रहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में आग लग सकती है और ये 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकता है। ऐसे में इसका बड़ा खामियाजा भारत को उठाना पड़ सकता है। महंगाई से राहत मिलने की उम्मीदें धरी की धरी रह सकती हैं।
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