रायपुर (khabargali)प्रदेश में बढ़ते कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच आरटीपीसीआर जांच की सुविधा सीमित होने से लोगों को जांच रिपोर्ट मिलने में विलंब हो रहा है। प्रशासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि इसे कैसे बढ़ाया जाए? जितने मामले आ रहे हैं उस लिहाज से जांच नहीं हो पा रही है। अभी रायपुर एम्स के अलावा राज्य सरकार के 9 मेडिकल कॉलेजों रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर, राजनांदगांव, रायगढ़, अंबिकापुर, कोरबा, महासमुंद और कांकेर के वॉयरोलॉजी लैब में आरटीपीसीआर की सुविधा है। कोरिया के बैकुंठपुर में भी एक प्रयोगशाला काम कर रही है। इसके अलावा तीन निजी संस्थाओं को आरटीपीसीआर जांच की मान्यता है। इन सबको मिलाकर एक दिन में अधिकतम 10 हजार 500 नमूनों की ही जांच की जा सकती है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, यहां एक दिन में 10 हजार 500 आरटीपीसीआर जांच की ही सुविधा है। रोजाना सैंपल लेने की क्षमता को बढ़ाकर हम 50 हजार तक पहुंच रहे हैं। जांच की क्षमता बढ़ाने की भी कोशिश जारी है। प्रयोगशालाओं में संसाधन बढ़ाने को कहा गया है। नई मशीनों और तकनीशियनों की व्यवस्था की जा रही है। रायपुर के लालपुर स्थित टीबी अस्पताल में भी आरटीपीसीआर मशीन है। उसका उपयोग भी कोरोना की जांच में करने का निर्देश दिया गया है। सिंहदेव ने कहा, अभी एहतियात ही रोकथाम का सबसे कारगर उपाय है। लक्षण दिखने पर जांच कराएं और रिपोर्ट आने तक खुद को आइसोलेट करें।
छत्तीसगढ़ में एपिडेमिक कंट्रोल के डायरेक्टर डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया, आरटीपीसीआर जांच की क्षमता सीमित है। इसको बढ़ाने की कोशिश हो रही है। अभी जशपुर, दंतेवाड़ा, बलौदाबाजार, दुर्ग और जांजगीर में वायरोलॉजी लैब निर्माणाधीन हैं। जहां प्रयोगशालाएं हैं वहां भी संसाधन बढ़ाकर जांच की क्षमता बढ़ाने का प्रयास हो रहा है। डॉ. मिश्रा ने बताया, आरटीपीसीआर के अलावा ट्रू-नॉट मशीनों की जांच से भी वायरस की पुष्टि हो रही है। फिलहाल छत्तीसगढ़ में इन तीनों तरीकों से कोरोना की जांच हो रही है।
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