रायपुर (khabargali) अरूज़ फ़ाउंडेशन की ओर से अरूज़ फाऊंडेशन के प्रथम ग़ज़ल संग्रह कारवान-ए- अरूज़ का विमोचन हुआ. इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष इनामुल्लाह शाह 'सहर', मुख्य अतिथि पदम्श्री डॉ भारती बंधु ,एवं विशिष्ट अतिथि गिरीश पंकज और वी के सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन के पश्चात मुशायरे का आग़ाज़ हुआ.
अरूज़ फाऊंडेशन के ग़ज़ल संग्रह कारवान ए अरूज़.. के साथ ही दो ग़ज़ल संग्रह क्रमशः . सफ़र जारी है.. नदीम जावेद तथा. मिल्कियत मेरी .. नीता श्रीवास्तव का भी विमोचन हुआ. सुदेश मेहर, आलिम रज़ा नक़वी तथा राज तिवारी द्वारा संपादित किताब कारवान ए अरूज़ में अरूज़ फाऊंडेशन के सदस्य जावेद नदीम नागपुरी, राजकुमार कोरी राज़, आलिम रज़ा नक़वी आलिम, शेख़ निज़ामुद्दीन राही, राज तिवारी ,डॉ मंजुला हर्ष श्रीवास्तव 'मंजुल', उर्मिला देवी उर्मि, रूपेंद्र राज तिवारी, सतीश कुमार बोरकर,नीता श्रीवास्तव, डॉ योगिता वाजपेयी कंचन, मो. इरफ़ानुद्दीन इरफ़ान, मीसम हैदरी सुदेश कुमार मेहर की बेहद खूबसूरत गज़ले सम्मिलित हैं । पद्मश्री भारती बंधु ने देश के इस परिवेश में अरूज़ के इस प्रयास की सराहना की, गिरीश पंकज ने हिन्दी- उर्दू की गंगा जमनी तहज़ीब को आगे बढ़ाने के लिए अरूज़ फाऊंडेशन की प्रशंसा की. आयोजन के अध्यक्ष इमुल्लाह शाह 'सहर', ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर आपसी एकता और अखंडता की शुभकामनाएं देते हुए अरूज़ के इस प्रयास की सराहना की. अरूज़ फाऊंडेशन के सदस्यों सहित फ़ैज़ल अब्बास सैफ़ी,, काविश हैदरी, , नासीर अली, हसन जाफ़री, सुखनवर हुसैन,रमेश्वर शर्मा, गौहर जमाली, तेजपाल सोनी और रमेश प्रताप सिंह, अमरनाथ त्यागी रज़ा हैदरी ने मुशायरे में शिरकत की.अरूज़ फाऊंडेशन के सचिव सुदेश मेहर ने सभी शायरों का आभार व्यक्त किया.26 जनवरी मंगलवार को सालेम इंग्लिश स्कूल के भव्य सभागार में संपन्न इस पुस्तक विमोचन समारोह का सफल संचालन शायरा उर्मिला देवी उर्मि तथा शायर अनिल श्रीवास्तव ने किया ।
कारवान ए अरूज़ किताब में सम्मिलित गजलकारों की कुछ चुनिंदा पंक्तियां --
इस कदर मत कर गुरुर बाबा । आईने पर एक नजर बाबा ।। -जावेद नदीम नागपुरी
अपनी हर बात मोतबर रखिये। तर्ज़ ए गुफ़्तार में असर रखिए। -आलिम रज़ा नक़वी
क्या हुआ क्यों सहर नहीं आती। शम्स की कुछ ख़बर नहीं आती। -शेख निज़ामुद्दीन राही
ऐसा न था कोई जो ख़तावार नहीं था। दुनिया में मुकम्मल कोई किरदार नहीं था।- डॉ मंजुला हर्ष श्रीवास्तवमं जुल
सोचना यह गुनाह से पहले । किस जगह खुदा नहीं होता ।। -उर्मिला देवी उर्मि
बदली हुई फ़िज़ा का ये आलम तो देखिए। है आदमी का निकला हुआ दम तो देखिए। -रुपेंद्र राज तिवारी
बयाँ नज़रों से सारी हो रही है। ख़बर सबको हमारी हो रही है। -नीता श्रीवास्तव
आया खूँ में उबाल तौबा रे। कितने बिगड़े हैं हाल तौबा रे। -योगिता बाजपेयी कंचन
कश्ती ही सौंप दी है जब उस नाख़ुदा के हाथ। फिर क्यों दुआ करें भला अपने उठा के हाथ। -इरफ़ान
ज़िंदगी मौत की कहानी है। साँस तो सिर्फ आनी जानी है। -मीसम अली हैदरी
फ़ासले इश्क़ में क़ुर्बत को बढ़ा देते हैं। जो बिछड़ता है रगे-जाँ में उतर जाता है। -सुदेश कुमार मेहर
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