नरवा, गरुवा, घुरवा से बदलेगी गाँव, ग्रामीण की तकदीर -तस्वीर

Marva, garuva, ghuruva

राज्य सरकार की नरवा, गरूवा, घुरवा और बाड़ी योजना अब संजीवनी का काम करेगी 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस अभूतपूर्व योजना को लागू करने के लिए हर जिले में शुरु की कार्यशाला 

रायपुर(khabargali) छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी  ये नारा दिया है ठेठ छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने, इस अभूतपूर्व योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए हर जिले में भुपेश सरकार द्वारा कार्यशाला लगाया जा रहा है ! सम्भवतः यह  छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण योजना साबित होने जा रही है जिसका लाभ छत्तीसगढ़ की जनता और विशेष रूप से ग्रामीणों को मिलने वाली है ,जो अपनी ज़मीन अपने घर अपने गाँव को जोड़ती है.

गाँव और ग्रामीणों की बदलेंगी तश्वीर

“नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी” के माध्यम से गांव एवं ग्रामीणों की तस्वीर और तकदीर  बदलने का दिव्य स्वप्न छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने देखा है जिससे प्रदेश के ग्रामीणों में एक उत्साह का माहौल देखा जा रहा है. छत्तीशगढ़ राज्य में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने गाँव गरीब और किसानो के बारे में सोच कर उनकी जीवन शैली किस तरह  बदली जा सकती हैं उसके बारे में सोचा है . मुख्यमंत्री जी ने  विशेष रूप से प्रदेश के अधिकारियो  से ग्रामीणों की भागीदारी से इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ गांवों एवं ग्रामीणों तक पहुंचाने की अपील की है ।  इस योजना का लाभ गाँव में छोटे-छोटे कार्य के जरिए ग्रामीणों को ज्यादा लाभ पहुंचाने के लिए एक बड़ा प्रयास राज्य शासन के द्वारा किया जा रहा है ।

  रोजगार मूलक योजना

आने वाले दिनों में जरूरतमंद ग्रामीणों को गांव में ही भरपुर रोजगार मिल सके, इसके लिए गांवों में लगातार रोजगार मूलक कार्य की व्यवस्था हो सकेगी । उन्होंने नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी योजना में कराए जाने वाले कार्यों का तत्परता से प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी प्राप्त करने के निर्देश दिए। अधिकारियों को प्रत्येक गांव में रोजगार मूलक छोटे-छोटे कार्य जैसे तालाब निर्माण एवं गहरीकरण, धरसा रोड़ निर्माण, डबरी, कुआं, बोल्डर, चेकडेम, नाला बंधान, सीपीटी निर्माण, वृक्षारोपण के लिए गड्ढे की खुदाई आदि के लिए स्थल का चयन कर प्राक्कलन तैयार करने के निर्देश दिए है । 

  हरे चारे के लिए चरवाह का निर्माण

इस योजना के अंतर्गत  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं उनकी सरकार हर गांव में गौठान को घेरकर उसे पशुओं के लिए प्रथम चरण में डे-केयर सेंटर की तरह विकसित करेगी. इस गौठान चरने के बाद पशुओं को दिनभर रखा जाएगा और चरणबद्ध तरीके से हरे चारे के लिए चारागाह विकसित किया जाएगा. गौठान में चारा और पानी की व्यवस्था उपलब्ध रहेगी. गौठान की देखरेख के लिए पर गांव में ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बीच गौठान समन्वय समिति बनाकर इसे संचालित किया जाएगा. गौठान में जो गोबर और गौमुत्र इकट्ठा होगा. उसके द्वारा आय के साधन भी विकसित किये जाएंगे. गोबर से जैविक खाद और बायोगैस बनाया जाएगा. बायोगैस का इस्तेमाल गांव के लोग करेंगे. जबकि जैविक खाद को बेचा जाएगा.

खेतो की होगी फेन्सिंग

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि गांव में गरुआ गरु यानि संकट हो गया है. जिसे सरकार एक चुनौती मानकर चल रही है .श्री  भूपेश बघेल का कहना है कि गाय हमारी आवश्यकता है. गाय के चलते ही भूमि उर्वर बनी हुई है. वरना ज़मीन की उर्वरता खत्म हो जाएगी. इसलिए गायों के संवर्धन और खेती के लिए फिर से लाभप्रद बनाए जाने की आवश्यकता है. सरकार नरवा-गरुवा-घुरवा-बारी योजना के जरिये गौठान को ग्रामीण अर्थव्यस्था के मूलभूत संस्थान की तरह विकसित कर रही है और सरकार का भी यह मानना है कि किसान खेतों में बाड़ न होने के कारण एक से ज़्यादा फसल नहीं ले पाते. क्योंकि फसलों को मवेशियों द्वारा चरे जाने की आशंका हमेशा बनी रहती है. चूंकि करीब 70 प्रतिशत किसान छोटे और मझौले हैं. जो अपनी खेतों की फेंसिंग खुद नहीं करा पाते हैं. सरकार अगर सबके खेतों की फेसिंग का काम करेगी तो काफी खर्चा आएगा. लिहाज़ा भूपेश सरकार ने दूसरे विकल्प को लेकर काम किया. ये दूसरा विकल्प था मवेशियों को फेसिंग करके एक जगह रखना.

फसल कटाई के लिए ग्राम सभाओं को मशीनें 

उपलब्ध आजकल हार्वेस्टर से कटाई होने के बाद पुआल खेत में ही रह जाते हैं. जिसका कटिया काटकर गायों के खाने की व्यवस्था की जाएगी. कटाई के लिए ग्रामसभाओं को मशीन देने में मदद सरकार करेगी. इससे खेतों में पुआल जलाने की समस्या भी कम हो जाएगी. सरकार का कहना है कि गौठान समितियों को धीरे-धीरे आर्थिक स्तर पर स्वावलंबी बनाया जाएगा.जिन गांवों में चारागाह की जमीन कम है. वहां दो-तीन गांवों के बीच जगह खोजकर उसे सामूहिक तरीके से विकसित किये जाने का विकल्प खुला है. सरकार की दलील है कि सार्वजनिक गौठान बनाने से नस्ल सुधार कार्यक्रम में भी तेज़ी आएगी. गायों के एक जगह गौठान में रहने से बुआई करने वाले लोगों का काम आसान हो जाएगा.

मनरेगा से जुड़ेगा गौठान

गायों और मवेशियों की संख्या के आधार पर हर गांव में चार पांच चरवाहे रखे जाएंगे. जिन्हें कुछ मानदेय दिया जाएगा. मनरेगा में गौठान का प्रावधान होने के बाद भी पूर्ववर्ती सरकारों ने इसका इस्तेमाल नहीं किया. भूपेश सरकार मनरेगा को इससे जोड़ेगी. इस योजना का फ्रेम वर्क बनाने का काम चल रहा है । मुख्यमंत्री जी ने  छत्तीसगढ़ के सभी  जिले की सभी गांवों में रोजगार मूलक काम स्वीकृत एवं संचालित हो,ऐसी योजना पर काम करने और  यह सुनिश्चित करना पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की प्राथमिक जिम्मेदारी तय करने पर विशेष जोर दिया है । 

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