स्‍वतंत्रता सेनानी, पहली लोकसभा के सांसद व भारत के संविधान निर्माण कमेटी के सदस्य रहे स्व.रेशम लाल जांगड़े की आज पुण्यतिथि

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छत्तीसगढ़ के हितों के लिए संसद में हमेशा आवाज बुलंद रहती थी स्व. जांगडे की

रायपुर (khabargali) आज 11 अगस्त को छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद स्वर्गीय मिनी माता के साथ देश की पहली अंतरिम संसद के सदस्‍य एवं स्‍वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रेशम लाल जांगड़े की आज पुण्यतिथि है। 11 अगस्त 2014 को उनका निधन हुआ था। स्वर्गीय श्री रेशमलाल जांगड़े ने राज्य, देश और समाज के विकास के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन अर्पित कर दिया। स्वर्गीय जांगड़े भी प्रदेश के अत्यंत कर्मठ और सजग लोकसभा सांसद और विधायक थे। छत्तीसगढ़ के हितों के लिए भी उन्होंने संसद में आवाज बुलंद की। वे किसी भी बात को निर्भीकता से संसद व विधानसभा में उठाने से नई चूकते थे , वे दलितों की आवाज थे 1956 में छत्तीसगढ़ राज्य की अवधारणा उन्होंने ही सर्प्रथम संसद में रखी थी।

सतनामी समाज के पहले ग्रेजुएट

रेशम लाल जांगडे़ का जन्‍म 15 फरवरी 1925 को वर्तमान में बलौदा बाजार के परसाड़ी गांव में हुआ था। 1949 में उन्‍होंने नागपुर कॉलेज से कानून में स्‍नातक की डिग्री प्राप्‍त की थी। ऐसा कर वे सतनामी समाज के पहले ग्रेजुएट बन गए थे।

डॉ अंबेडकर के साथ संविधान निर्माण कमेटी में रहे

नागपुर कॉलेज से कानून में ग्रेजुएट होने की वजह से जांगड़े भारत के संविधान निर्माण कमेटी के भी सदस्‍य रहे। इस दौरान उन्‍होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ मिलकर काम किया।

17 की उम्र में ऐसे सफर शुरू हुआ

17 साल की उम्र में जांगड़े ने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्‍सा लिया। 1950 में उनका अं‍तरिम संसद में चयन हुआ जिसके बाद 1952 में जांगड़े बिलासपुर से चुनाव लड़ लोकसभा पहुंचे। 1962 तक वे बिलासपुर से सांसद रहे इसके बाद उन्‍होंने भटगांव से विधानसभा का चुनाव लड़ा। तब छत्‍तीसगढ़ और मध्‍यप्रदेश एक था। 1967 में मध्‍यप्रदेश सरकार में मंत्री चुने गए। वे भातृ संघ के उपाध्यक्ष भी थे । मप्र राज्य परिवहन निगम के चेयरमैन थे। मप्र भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे । गिरौदपुरी मेले की शुरूआत भी उनके नेतृत्व में समाज के द्वारा 1967 में की गई थी। गिरौदपुरी मेला के अध्यक्ष भी रहे , गिरौदपुरी के मेले को बढ़ाने में व उसके विकास मे उनका बहुत बड़ा योगदान था ।

कई बार हुए सम्मानित

साल 2010 में उन्हें गुरुघासीदास दलित चेतना पुरस्कर से नवाजा गया था व 13 मई 2012 में संसद में प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति द्वारा उन्हें पहली लोकसभा के सांसद के नाते सम्मानित किया गया था।

सादा जीवन उच्च विचार के धनी थे स्व. जांगडे

जांगड़े जी बेहद सरल स्वभाव के थे , सादा जीवन उच्च विचार उनका मूल मंत्र था। वे आजीवन खादी का कपड़ा ही पहनते रहे। खुद को होने वाली आय से वे गरीब बच्‍चों के लिए कॉपियां और किताबें खरीदते थे। ताम झाम से वे अपने को कोसो दूर रखते थे। वे हमेशा पैदल ही चलना पसंद करते थे । उन्होंने परिवार को हमेशा उन्होंने राजनीति से दूर ही रखा। 1993 में उन्‍होंने राजनीति छोड़ सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देना शुरू कर दिया था। अपना पूरा जीवन दो कमरे के 8 बाई 8 के कमरे में ही व्यतीत करने वाले श्री जांगडे अपने और परिवार के लिए संतोषजनक मकान तक नही बनवा सके। उन्होंने पूरा जीवन संघर्ष किया।

स्व. जांगडे के नाम से न कोई स्मारक है न कोई योजना..परिवार को इसका मलाल

रेशम लाल जांगडे़ के परिवार में उनकी पत्‍नी कमला जांगडे़ व उनके दो बेटे हैं। पत्नी श्रीमती कमला भी कई दिनों से अस्पताल में गंभीर रूप से बीमार रहकर भर्ती है। उनके परिवार ने ख़बरगली को बताया कि उन्हें इस बात का बेहद मलाल है कि दुर्भाग्य से आज इतने साल बीत जाने के बाद भी प्रदेश में स्व. जांगडे के नाम से न कोई शासकीय भवन है न ही कोई प्रतिमा न ही उनके नाम पर सरकार ने कोई योजना शुरू की।

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