300 साल पुराना नागपुर का रेडलाइट एरिया ‘गंगा-जमुना’ हुआ बंद

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नागपुर (khabargali) देश का चर्चित रेड लाइट एरिया ‘गंगा-जमुना’ बंद कर दिया गया है. लगभग 10 दिन पहले पुलिस ने पूरे रेडलाइट एरिया को घेर लिया. सभी गलियों में बैरिकेडिंग कर देह व्यवसाय बंद करवा दिया. इसके बाद से ही बिना कोई पूर्व सूचना और पुनर्वास किए बिना कार्रवाई करने के विरोध में यौनकर्मी और उनके समर्थन में आए जनप्रतिनिधि प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर आसपास में रहने वाले लोग माहौल खराब होने का हवाला देते हुए इलाके को बंद रखने की बात कह रहे हैं. पुलिस द्वारा परिसर सील किए जाने के बाद बड़ी संख्या में सेक्स वर्कर यहां से पलायन कर चुकी है, जो लोग यहां रह रहे हैं वो मकान मालिक और वृद्ध महिलाएं हैं. ये महिलाएं ही सेक्स वर्करों से कमरे का किराया लेती थी. लेकिन पुलिस की बैरिकेडिंग के बाद से सभी का व्यवसाय बंद हो गया है. यदि किसी ने बैरिकेड हटाने का प्रयास किया तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. परिसर में 100 कर्मचारी दिनरात तैनात रहते हैं.

300 साल पुरानी है बस्ती

बताया जाता है कि 300 साल पहले ब्रिटिश काल से अस्तित्व में आई गंगा-जमुना बस्ती में एक समय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र समेत कई अन्य प्रांतों में तीन से चार हजार महिलाएं जिस्म फरोसी का कारोबार किया करती थीं, लेकिन आज यह संख्या घटकर 500 से 700 रह गई है.

 ग्राहक के खिलाफ कार्रवाई होगी

कोरोना की वजह से पहले ही कारोबार नहीं होने के बीच बीते बुधवार शाम को पुलिस ने अचानक भारी फोर्स लगाकर बस्ती को सील कर दिया. इसके साथ ही उन्हें चेतावनी भी दी है कि क्षेत्र के बाहर से आने वाले ग्राहकों के खिलाफ धारा 144 के तहत कार्रवाई की जाएगी. 

बिल्डर लॉबी के प्रभाव में सील: ज्वाला धोटे

इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस अर्बन सेल की अध्यक्ष ज्वाला धोटे ने आरोप लगाया कि गंगा-जमुना की जगह पर नजर रखने वाले बिल्डर लॉबी के प्रभाव में पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने चारों ओर से सील किया है. स्थानीय वारांगनाओं को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया है. धोटे ने पुलिस आयुक्त की संपत्ति की भी जांच की मांग की है. वारांगना पुनर्वसन का कोई भी सरकारी निर्णय घोषित नहीं हुआ है. फिर भी सामाजिक संगठनों की मांग पर पुलिस आयुक्त ने 300 साल पुरानी बस्ती 144 धारा लगाकर चारों ओर से सील की है. वारांगना बेरोजगार हुई है. उन्होंने सवाल किया कि इस बस्ती को बैरिकेड्स लगाने के पहले पुलिस आयुक्त ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, गृहमंत्री, पालकमंत्री, महापौर, विभागीय आयुक्त, जिलाधिकारी की अनुमति ली थी? एक और सवाल करते हुए पूछा कि गंगा-जमुना के मध्य में पुलिस चौकी है, फिर वहां अवैध धंधे कैसे चलते हैं. धोटे ने आरोप लगाया कि बिल्डर लॉबी को खुश करने के लिए पुलिस आयुक्त गरीब वारांगनाओं की बलि ले रहे हैं. उन्होंने इस बस्ती को लेकर पालकमंत्री डॉ. नितीन राउत से चर्चा कर चुकी है. उनका आश्वासन मिला है कि इस मसले पर कानूनी ढंग से जो भी हल निकलेगा, उसके जरिए समस्या को सुलझाया जाएगा. गंगा-जमुना बस्ती में रहनेवाली वारांगनाअों के पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, इलेक्शन कार्ड है. वह अपना घर छोड़कर कहां जाएंगी. यह मनपा के हर टैक्स का भुगतान करती हैं. यह अपनी बस्ती छोड़कर क्यों जाएंगी. वारांगनाओं के समर्थन में कुछ अधिवक्ता भी सामने आएं हैं, जो जरुरत पड़ने पर न्यायालय में गुहार लगाएंगे.

बस्ती बंद होना जरूरी: आभा पांडे

राकांपा की नगरसेविका आभा पांडे की अगुवाई में गंगा-जमुना बस्ती में चल रहे देह व्यापार को बंद करने के लिए आंदोलन किया जा रहा है. इस आंदोलन में गंगा-जमुना वेश्या व्यवसाय हटाओ संघर्ष कृति समिति के पदाधिकारी व कार्यकर्ता भी शामिल हुए. आंदोलन में भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस सहित कई दलों के नेता शामिल थे. आंदोलनकारियों का कहना था कि इस बस्ती में रहने वाली वारांगनाओं का पुनवर्सन किसी दूसरी जगह पर किए जाए. उनका कहना है कि इस बस्ती में बाहरी महिलाएं देह व्यवसाय कर रही हैं. स्थानीय वारांगनाएं बस्ती छोड़कर जा चुकी हैं. बाहर से आई वारांगनाएं कम उम्र की लड़कियों को लाकर उन्हें देह व्यवसाय की दलदल में झोंक रही हैं . इसे चलने नहीं दिया जाएगा. आभा पांडे ने कहा कि इस बस्ती के कारण कई लड़के-लड़कियों की शादियां तक नहीं हो पा रही है. इस बस्ती में आपराधिक लोग पनाह लेते हैं. कई आपराधिक घटनाएं हुई हैं. आस-पास का माहौल खराब होता जा रहा है. उन्होंने सवाल दागा कि इस बस्ती को लेकर जो लोग समर्थन कर रहे हैं, क्या वे इस बस्ती में रहते हैं? उन्हें इस बस्ती के आस-पास रहने वाले लोगों के दर्द के बारे में कुछ भी पता नहीं है. यहां किराए का कमरा देनेवाली महिला दलाल ही नहीं चाहती कि देह व्यवसाय की दलदल में फंसी महिलाओं का पुनवर्सन हो.

पुलिस और अधिकारियों ने सेक्स वर्करों से संवाद साधा

बीते शनिवार को पुलिस ने सीधे सेक्स वर्करों से संवाद साधा. उन्हें पुनर्वसन का भरोसा दिलाया. एडिशनल सीपी नवीनचंद्र रेड्डी और डीसीपी लोहित मतानी सहित आला अधिकारी गंगा-जमुना परिसर में पहुंचे. पुलिस के साथ महिला व बाल विकास विभाग के अधिकारी, सामाज कल्याण विभाग, विधि सेवा प्राधिकरण और नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन सहित एनजीओ के पदाधिकारी भी बैठक में शामिल हुए. डीआईजी रेड्डी ने बताया कि पहले तो महिलाएं पुलिस को अपनी परेशानी बताने में हिचकिचा रही थी. जब हमने उन्हें कोई और रोजगार उपलब्ध करवाने की जानकारी दी तो महिलओं ने समस्या बताई. रेड्डी ने उन्हें सेक्स वर्करों के पुनर्वसन के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बताया. जिन महिलाओं के पास घर नहीं है उनके आश्रय का इंतजाम करने की जानकारी दी. साथ ही यह भी आगाह किया कि अब परिसर में कोई देह व्यवसाय नहीं कर पाएगा. यदि किसी ने अवैध काम करने का प्रयास किया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी. रेड्डी ने बताया कि हम अन्य शासकीय महकमों के साथ मिलकर इन महिलाओं के पुनर्वसन का काम करने का प्रयास कर रहे हैं.