रायपुर (khabargali) किसी शायर ने क्या खूब लिखा है-
कुछ इस तरह खूबसूरत मेरी शाम हो गई
कुछ बुजुर्गो से कल राह में जो मुलाकात हो गई
चेहरे की सिलवटें बयान दर्द तमाम कर गई
दूसरों की आँखो में अपने अक्स की पहचान दे गई ..
ऐसी ही एक खूबसूरत शाम बीती राजधानी के सोना वाटिका मे जहां आर्टिस्टिक वाईब्स द्वारा जीना इसी का नाम कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था| आयोजन में बुजुर्गो द्वारा रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया। बुजुर्गो ने कई गेम खेले जिसमें लूडो, कैरम ,गिल्ली, डंडा, किकेट लेमन रेस था। बुजुर्गो के लिए एक छोटी सी लाईब्रेरी भी बनाई गई थी जिसमें आध्यात्मिक किताबे व पंचतंत्र ,विकम बेताल,चाचा चौधरी जैसी कई रोचक किताबे रखी गई थी | नए साल का स्वागत आर्टिस्टिक वाईब्स के युवा सदस्य इस अंदाज मे मना रहे हैं जो वाकई एक मिसाल है | बुजुर्गो द्वारा युवाओं को मिल रही दुआओ से सभी प्रसन्न थे सभी कि आँखों मे अनोखी चमक थी| आयोजन में शामिल सभी लोगों ने कहा कि ऐसा जश्न साल मे दो तीन- चार बार होना चाहिये और पूरे दिन होना चाहिये क्योंकि ऐसा आयोजन उपेक्षित बुजुर्गो के मन से निराशा मिटा कर उन्हें जीवन के अंतिम पडाव मे भी खुशियाँ भर देता है|
आर्टिस्टिक वाईब्स संस्था कि हेड तृप्ति लुनिया ने बताया कि बढते वृद्धा श्रम को देख बच्चो मे जागरूकता लाने कि यह एक छोटी सी पहल थी जिसे मैने कुछ बरस पूर्व शुरू कि थी पर आज शहर कि कई संस्थाएं हमारे साथ है जैसे लाँयन्स क्लब सेन्टल ,छत्रपति शिवाजी स्कूल के आलावा हमारे युवा साथियों का योगदान भी अमूल्य है जिमनें तुषार,रिद्धि, अक्षय, ईतिशा,मासूम ,गौरव, समीर का विशेष सहयोग रहा। गौरतलब है कि विगत पाँच वर्षों से शहर के सभी वृद्धा आश्रम, मानसिक रूप से अक्षम स्पेशल बच्चों, गरीब स्कूली बच्चों के लिए आर्टिस्टिक वाईब्स ऐसे अनोखे आयोजन कर रही है।
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