छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी ने रात 9:00 बजे 9 मिनट तक दिए जलाने का अनुरोध करते हुए इसका वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व बताया

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रायपुर (khabargali) छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी के संयोजक डॉ कुलदीप सोलंकी ने आज बुलेटिन क्रमांक 9 जारी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आम जनता से रात 9:00 बजे 9 मिनट तक दिए जलाने का अनुरोध करते हुए इसके वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व का भी ज़िक्र किया है। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :

प्रिय साथियों. नमस्कार आज 5 अप्रैल है माननीय प्रधानमंत्री जी का आह्वान हम सबको पता है उन्होंने रात 9:00 बजे 9 मिनट तक दिए जलाने की बात कही है। यह बहुत ही प्रशंसनीय पहल है हम उसका समर्थन करते हैं तथा छत्तीसगढ़ सिविल सोसायटी आप सब से आग्रह करती है कि निम्नलिखित कारणों की वजह से आप दीपक अवश्य जलाएं। दीपक और खासकर शुद्ध घी के दीपक जलाने से वातावरण में लिपिड वेफर्स फैलते हैं जिनसे Micro organisms Adsorb (उस पर चिपक कर) होकर खत्म हो जाते हैं। यह एक लंबा विषय है इस पर हम आज चर्चा नहीं करेंगे क्योंकि बहुत सारे लोग अविश्वासी है। हम मॉडर्न साइंस के माध्यम से इस कार्यक्रम की व्याख्या करेंगे कि क्यों पूरा विश्व आज अलग-अलग समय पर दिए या मोमबत्ती या प्रकाश करने के बारे में अपने नागरिकों को आह्वान कर रहा है।

1. दिया मतलब एक छोटी सी पहल जो विकराल अंधकार से मनुष्य की लड़ाई का सबसे पहला हथियार है। मानव समाज के विकास की गाथा में मानव का अग्नि पर नियंत्रण उसके पृथ्वी पर शासन करने का सबसे पहला हथियार था। बाकी सारे जीव जंतु अग्नि से डरते हैं, दूर रहते हैं किंतु मानव ही वह एकमात्र प्रजाति है जो अग्नि को नियंत्रित करके उसे अपनी इच्छा अनुसार इस्तेमाल अनंत काल से कर रहा है। अतः अंधकार पर प्रकाश की जीत की शुरुआत एक छोटे दीपक से ही हुई थी और आज पृथ्वी पर मानव साम्राज्य पुनः उसे सांकेतिक रूप से दोहरा रहा है।

2. विभिन्न कारणों से प्रकाश - शक्ति आत्मविश्वास एवं त्याग का सूचक है। इसलिए सायकेट्री में यह अवसाद से लड़ने का एक बहुत प्रभावी हथियार है।आज पूरा विश्व एक अनिश्चितता में जी रहा है तथा हम में से हर कोई कोरोना वायरस से डरा हुआ है। दिन प्रतिदिन यह भय हमें घेरता जा रहा है, अनफॉर्चूनेटली हमारा दैनिक कामकाज भी बंद पड़ा है। हमें यह पूर्ण विश्वास है की लॉक डाउन से हमें फायदा होगा और हमारे यहां अमेरिका की तुलना में लॉक डाउन काफी प्रासंगिक तौर पर और सही समय पर हो गया है इसलिए हमारे यहां कोरोना महामारी उतनी भयानक नहीं होगी जितनी इटली, स्पेन, फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका में हो रही है। किंतु बहुत बड़ा देश होने की वजह से हमें दो फ्रंट पर लड़ना है एक कोरोना पर विजय प्राप्त करना है और दूसरा अपने अंदर के डर को खत्म करना है। इसी पहल में जब आप स्वस्थ मन से ईश्वर को याद करके दीपक जलाएंगे और बालकनी या छत पर जाकर जलाएंगे तब स्वत: यह बोध होगा कि इस महामारी की लड़ाई में आप अकेले नहीं हैं बल्कि आपके अड़ोस पड़ोस, काॅलोनी एवं शहर के समस्त लोग एकजुट होकर इस कोरोना नामक महामारी से लड़ने के लिए अच्छे मनोबल के साथ तैयार हैं।

3. कोरोना महामारी का कोई इलाज नहीं है यह हमको पता है। हमारी सुरक्षा केवल हमारी इम्यूनिटी अर्थात रोग प्रतिरोधक क्षमता ही कर सकती है। हम अभी तक इसलिए बचे हुए हैं कयोंकि हम हिंदुस्तानियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है किंतु हमें इस बात का ध्यान रखना है कि साइंस में यह सिद्ध हो चुका है कि अवसाद अर्थात डिप्रेशन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बुरी तरह नष्ट करता है अतः माननीय प्रधानमंत्री जी का आह्वान इस अवसाद को रोकने में मदद करेगा। यहां हम यह भी बता देना भी उचित समझते हैं कि कुछ राष्ट्र विद्रोही विचारधारा वाले लोग अनावश्यक अफवाह उड़ा कर तथा लोगों में भय बढ़ाकर इस आयोजन का विरोध कर रहे हैं तथा बिजली की ग्रेड पर बुरा प्रभाव होगा वगैरह-वगैरह अनर्गल बातें कर रहे हैं। कृपया इन अफवाहों से दूर रहें।

आप सब से दोबारा कहना चाहेंगें कि हमारे जीवन में यह लॉक डाउन पहली बार आया हैं और शायद दोबारा कभी ना आए अतः इस समय का सदुपयोग करें, संयम एवं आत्मविश्वास रखें। इस बुलेटिन के साथ हम जापान की एक लघु कथा संलग्न कर रहे हैं कृपया जरूर पढ़ें। यह लघु कथा एक छोटे से राज्य में एक फकीर द्वारा की गई छोटी सी दीपक जलाने की पहल से संदर्भित है।

अंत में चंद पंक्तियों से अपनी बात कहना चाहूंगा अभी तक हम धरा से सितारे देखते थे आज आसमान से हमारी आंखें (हमारे सेटेलाइट) धरती पर सितारे देखेंगे।

जापानी लघु कथा

 जापान में एक छोटे से राज्य पर एक बड़े राज्य ने आक्रमण कर दिया। उस राज्य के सेनापति ने राजा से कहा कि आक्रमणकारी सेना के पास बहुत संसाधन है हमारे पास सेनाएं कम है संसाधन कम है हम जल्दी ही हार जायेंगे बेकार में अपने सैनिक कटवाने का कोई मतलब नहीं। इस युद्ध में हम निश्चित हार जायेंगे और इतना कहकर सेनापति ने अपनी तलवार नीचे रख दिया। अब राजा बहुत घबरा गया अब क्या किया जाए, फिर वह अपने राज्य के एक बूढे फकीर के पास गया और सारी बातें बताई। फकीर ने कहा उस सेनापति को फौरन हिरासत में ले लो उसे जेल भेज दो। नहीं तो हार निश्चित है। यदि सेनापति ऐसा सोचेगा तो सेना क्या करेंगी। आदमी जैसा सोचता है वैसा हो जाता है। फिर राजा ने कहा कि युद्ध कौन करेगा। फकीर ने कहा मैं, वह फकीर बूढ़ा था, उसने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा था और तो और वह कभी घोड़े पर भी कभी चढ़ा था। उसके हाथ में सेना की बागडोर कैसे दे दे। लेकिन कोई दूसरा चारा न था।

वह बूढ़ा फकीर घोड़े पर सवार होकर सेना के आगे आगे चला। रास्ते में एक पहाड़ी पर एक मंदिर था। फकीर सेनापति वहां रुका और सेना से कहा कि पहले मंदिर के देवता से पूछ लेते हैं कि हम युद्ध में जीतेंगे कि हारेंगे। सेना हैरान होकर पूछने लगी कि देवता कैसे बतायेंगे और बतायेंगे भी तो हम उनकी भाषा कैसे समझेंगे। बूढ़ा फकीर बोला ठहरो मैंने आजीवन देवताओं से संवाद किया है मैं कोई न कोई हल निकाल लूंगा। फिर फकीर अकेले ही पहाड़ी पर चढा और कुछ देर बाद वापस लौट आया।

फकीर ने सेना को संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर के देवता ने मुझसे कहा है कि यदि रात में मंदिर से रौशनी निकलेगी तो समझ लेना कि दैविय शक्ति तुम्हारे साथ है और युद्ध में अवश्य तुम्हारी जीत हासिल होगी। सभी सैनिक साँस रोके रात होने की प्रतीक्षा करने लगे। रात हुई और उस अंधेरी रात में मंदिर से प्रकाश छन छन कर आने लगा । सभी सैनिक जयघोष करने लगे और वे युद्ध स्थल की ओर कूच कर गए । 21 दिन तक घनघोर युद्ध हुआ फिर सेना विजयी होकर लौटीं। रास्ते में वह मंदिर पड़ता था। जब मंदिर पास आया तो सेनाएं उस बूढ़े फकीर से बोली कि चलकर उस देवता को धन्यवाद दिया जाए जिनके आशीर्वाद से यह असम्भव सा युद्ध हमने जीता है। सेनापति बोला कोई जरूरत नहीं ।। सेना बोली बड़े कृतघ्न मालूम पड़ते हैं आप जिनके प्रताप से आशीर्वाद से हमने इस भयंकर युद्ध को जीता उस देवता को धन्यवाद भी देना आपको मुनासिब नही लगता। तब उस बूढ़े फकीर ने कहा , वो दीपक मैंने ही जलाया था जिसकी रौशनी दिन के उजाले में तो तुम्हें नहीं दिखाई दिया पर रात्रि के घने अंधेरे में तुम्हे दिखाई दिया। तुम जीते क्योंकि तुम्हे जीत का ख्याल निश्चित हो गया विचार अंततः वस्तुओं में बदल जाती है और वस्तुएं अंततः घटनाओं में बदल जाती है।