धर्म को धंधा बना रहे हैं आज कुछ लोग - राजीवनयन

Saint Rajivnayan Ji Maharaj in Shrimad Bhagwat Katha, Raipur, Khabargali

 पद-प्रतिष्ठा मिलने के बाद व्यक्ति में आ जाता है अभिमान 

जीवन में उत्साह कभी भी खत्म न होने दें 

यह भान कभी नहीं रखना कि जो किया तुमने किया

रायपुर (khabargali) धर्म को आज कुछ लोग धंधा बना रहे हैं। भागवत जैसी पवित्र कथा के भी ठेकेदार पैदा हो गए हैं, जो दावे से कहते हैं कथावाचक हम बुलायेंगे, भीड़ हम जुटायेंगे। ऐसे इवेंटकर्ता यह भी कहने से नहीं चूकते पंडित जी-बाबा जी आपको सिर्फ राधे-राधे करना है, फिर बाद में आधे-आधे..। आजकल ठेकेदारों के द्वारा प्रायोजित कथा कब शुरु होता है कब खत्म हो जाता है पता ही नहीं चलता। सब कुछ होता है केवल कथा ही नहीं होती है। जो किस्मत में है उसे कोई छीन नहीं सकता और जो है नहीं उसे कोई दे नहीं सकता। लोग बखान करते हैं कि हमने दान दिया,चंदा दिया यदि चंदा लेने वाले ने इसे अस्वीकार दिया तो आपके दान का क्या होगा? इतना जान लो कि धर्म या देवालय का जो पैसा खाता है उसे कई जन्मों तक पाप भोगना पड़ता है।

 राजीवनयन श्रीमद्भागवत कथा में संत राजीवनयन जी महाराज ने बताया कि पद, प्रतिष्ठा, मान मिलने के बाद व्यक्ति में अभिमान आ जाता है, वह यह मान बैठता है कि यह सब कुछ उन्हे अपने से हासिल हुआ है इसमें भगवान का क्या? पढ़ाई, मेहनत कर परीक्षा उन्होने पास की इस सफलता के बाद पद पाया और पैसा कमाया फिर इसमें भगवान का क्या,यह प्रश्न वहीं करता है तो पढ़ लिखकर भी अज्ञानी है। अब इन्हे कौन समझायें कि परमात्मा यदि तुम्हे बुद्धि नहीं देते तो प्रयोग क्या करते? शारीरिक रूप से सक्षम व सामथ्र्यवान किसने बनाया,भगवान अपना काम तुमसे कराना चाहते हैं तभी तो ऊर्जा व शक्ति दी है। ऐसे लोगों से मिला देते हैं जिनसे मिलकर आगे बढ़ सको। फिर यह भान कभी नहीं रखना कि जो किया तुमने किया। कथा व्यास ने कहा कि जीवन में उत्साह कभी खत्म न होने दे। कभी नहीं बोलना कि हममें बुढ़ापा आ गया है। उम्र भले ही 55 की हो पर दिल बचपन का ही हो। कंपनी को ब्रांडेड बनने भी समय लग जाता है पर यह तो जीव है, संसार है। 60 जब पार हो जाए तब भगवान की भक्ति में लग जाओ, निरतंर परिवर्तन का नाम ही तो संसार है। जिनका कोई नहीं है उनका द्वारिकाधीश हैं।

 संस्कार है प्रणाम करना

कथाव्यास ने कहा कि प्रणाम करना हमारा संस्कार है। झुककर प्रणाम करने से आर्शिवाद मिलता है। गुरु का, श्रीमद्भागवत का,अपने बड़ों को मन से प्रणाम करते हैं, तो आर्शिवाद फलीभूत होता है। लेकिन आज क्या नमस्कार, हाय, हैलो का जमाना आ गया है। नमस्कार से आर्शिवाद नहीं सिर्फ चमत्कार ही देख सकते हैं। कथा के बीच में प्रसंगवश संजीवनयन जी महाराज सुमधुर भक्ति गीतों से श्रद्धालुओं को आनंदित कर रहे हैं। कथा का शनिवार को आखिरी दिन है।

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