नई दिल्ली (khabargali) सुप्रीम कोर्ट ने शीर्ष अदालत के लिए कथित अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में हास्य कलाकार कुणाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करने के लिए दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला किया और दोनों को नोटिस दी. कुनाल और रचिता को छह हफ्ते के भीतर इसका जवाब देने हैं कि उनके खिलाफ अवमानना का मामला क्यों नहीं चलाना चाहिए? इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक आर सुभाष रेड्डी, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने की. बता दें कि कुणाल कामरा और रचिता तनेजा ने कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के जजों के खिलाफ अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया था.
कुणाल कामरा के खिलाफ यह आरोप
कामरा के खिलाफ दायर याचिकाओं में से एक श्रीरंग कटनेश्वर्कर ने दाखिल की है। बता दें कि कामरा ने 11 नवंबर को अपमानजनक ट्वीट तब किए, जब साल 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अर्नब गोस्वामी ने अग्रिम जमानत याचिका बंबई हाईकोर्ट की ओर से खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कामरा ने कई ट्वीट किए जो उच्चतम न्यायालय के लिए अपमानजनक थे और उन्होंने शीर्ष अदालत की गरिमा को और कम किया. जब लोगों ने विरोध किया तब भी कामरा ने कहा था कि जो जिस ट्वीट में कोर्ट की अवमानना लोगों को लग रही हैं. वो सभी ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के पक्षपात को दिखाता है. उनके विचार वह नहीं बदलना चाहते हैं.
रचिता तनेजा के ट्वीट को बनाया आधार
तनेजा द्वारा तस्वीरों के साथ सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ पोस्ट किये गये तीन ट्वीट के आधार पर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की याचिका लगाई गई. दायरयाचिका के अनुसार तनेजा सोशल मीडिया को प्रभावी करने वाली हैं और उनके विभिन्न मंचों पर हजारों फालोअर्स हैं. याचिका में तनेजा को सोशल मीडिया पर ऐसी अपमानजनक पोस्ट प्रकाशित करने से रोका जाए जो शीर्ष अदालत को बदनाम करते हों और उसकी सत्ता को कम करते हों.
अटॉर्नी जनरल की सहमति मिल गई थी
श्रीरंग कटनेश्वर्कर को याचिकाओं पर अटॉर्नी जनरल से गुरुवार को सहमति मिल गई थी. बता दें कि अगर किसी शख्स के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करनी है, तो उसके लिए अदालत को अवमानना अधिनियम-1971 की धारा-15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसीटर जनरल की सहमति लेनी होती है. इसके बिना कार्यवाही करना संभव नहीं है.
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