विश्व साहित्य में मौलिक योगदान के लिए मिला विश्व का बड़ा सम्मान
शुक्ल जी को 50 हजार डॉलर की राशि प्रदान की जाएगी
रायपुर (khabargali) अमेरिका ने 27 फरवरी को हिंदी के सर्वाधिक प्रतिष्ठित समकालीन साहित्यकारों में से एक विनोद कुमार शुक्ल (86) वर्ष को साहित्य में उनके योगदान के लिए साल 2023 का प्रतिष्ठित पेन/नबोकोव अवॉर्ड फॉर अचीवमेंट इन इंटरनेशनल लिटरेचरअवार्ड देने की घोषणा की गई है। इस पुरस्कार में विनोद कुमार शुक्ल जी को 50 हजार डॉलर की राशि प्रदान की जाएगी, जो भारतीय मुद्रा में करीब 41 लाख रुपए की राशि होगी। उन्हें 2 मार्च को न्यूयॉर्क सिटी में अवॉर्ड दिया जाएगा। इनके साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय साहित्य में, और प्रशंसित नाटककार एरिका डिकर्सन-डेस्पेंज़ा को भी यह पुरस्कार प्रदान किया जा रहा है। श्री शुक्ल पेन अमेरिका लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले हिंदी भाषा के संभवत: पहले साहित्यकार हैं।
पेन अमेरिका ने इसकी घोषणा करते हुए कहा, ‘कथाकार, उपन्यासकार, कवि और निबंधकार विनोद कुमार शुक्ल को हिंदी भाषा के महानतम समकालीन रचनाकारों में शुमार किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें 2023 का पेन/नाबोकोव अवार्ड दिया जा रहा है।
’ शुक्ल को ‘वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहनकर विचार की तरह’, ‘नौकर की कमीज’, ‘सबकुछ होना बचा रहेगा’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसी उनकी रचनाओं के लिए न केवल हिंदी बल्कि तमाम भाषाओं में अच्छी तरह जाना-पहचाना जाता है।
तत्कालीन मध्य प्रदेश और वर्तमान छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में 1937 में जन्में विनोद कुमार शुक्ल को उनकी विशिष्ट लेखन शैली के लिए पहचाना जाता है। वह उन लोगों और विषयों के बारे में लिखते हैं जिन्हें वह गहराई से जानते हैं। उनकी शैली को अक्सर “जादुई यथार्थवाद” के करीब माना जाता है यानी जो ‘कल्पनाशीलता’ के साथ भी ‘यथार्थ’ को धारण करने वाला है।खास बात यह है कि शुक्ल की भाषा और शैली अंतरराष्ट्रीय लेखन या वैश्विक साहित्यिक आंदोलनों से प्रभावित नहीं हुई। उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ और कहानी ‘बोझ’ पर मणि कौल ने एक फिल्म का निर्माण भी किया था।
पेन अमेरिका अवार्ड के निर्णयकर्ताओं अमित चौधुरी, रोया हाकाकियान और माजा मेंजिस्टे ने एक वक्तव्य में कहा, ‘शुक्ल का गद्य और उनकी कविताएं गहरे प्रेक्षण का प्रतीक हैं। उनसे निकलने वाले स्वर एक अत्यंत सजग और बुद्धिमान प्रेक्षक के स्वर हैं। वह दशकों से लेखन कर रहे हैं और अब तक उन्हें वह पहचान नहीं मिली जिसके वे हकदार हैं। शुक्ला ने ऐसा साहित्य रचा है जिसने आधुनिकता को लेकर हमारी समझ को बदला है।’
क्या है पेन-नबोकोव पुरस्कार
पेन अमेरिका और व्लादिमीर नाबोकोव लिटरेरी फाउंडेशन के सहयोग से स्थापित 50,000 डालर का यह पुरस्कार प्रतिवर्ष ऐसे लेखक को प्रदान किया जाता है जिनका साहित्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मौलिक, अनूठा और उत्कृष्ट शिल्प कौशल का हो। साथ ही उच्चतम स्तर की उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता हो। पुरस्कार का नाम 20वीं शताब्दी के प्रमुख उपन्यासकारों में से एक, व्लादिमीर नाबोकोव के सम्मान में रखा गया है। इसके पूर्व पेन नाबोकोव पुरस्कार न्गुगी वा थिओन्गो, ऐनी कार्सन, एम। नोरबे से फिलिप, सैंड्रा सिस्नेरोस, एडना ओब्रायन और एडोनिस को प्रदान किया चुका है।
विनोद कुमार शुक्ल जी की कुछ कविताएं
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