
बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को दिखाने और ना दिखाने को लेकर कैंपस में कोहराम
नई दिल्ली ( khabargali ) साल 2002 के गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन सीरीज पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को दिखाने और ना दिखाने को लेकर देश के कई विश्वविद्यालयों में बवाल हो रहा है। विपक्षी दल डॉक्यूमेंट्री पर बैन पर सवाल उठा रहे हैं। देश की राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में विश्वविद्यालयों में छात्र समूह इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने पर अड़े हुए हैं।
यह विवाद जेएनयू व जामिया से चलकर दिल्ली यूनिवर्सिटी के बाद अब मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) तक भी पहुंच गया है। छात्र डॉक्यूमेंट्री को दिखाने की योजना बना रहे हैं।
गौरतलब है कि 24 जनवरी को पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के बाद इसके पूरे देश के विश्वविद्यालयों में इसके स्क्रीनिंग की बात कही थी। इसी को देखते हुए एहतियात के तौर पर डीयू की प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने दिल्ली पुलिस को इस संबंध में पत्र लिखा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित अंबेडकर यूनिवर्सिटी से शुक्रवार को डॉक्यूमेंट्री के स्क्रीनिंग की बात सामने आई है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने वहां की बिजली ही काट दी है। इसके चलते छात्र पहले से ही डाउनलोड की हुई डॉक्यूमेंट्री अपने फोन और लैपटॉप पर देख रहे हैं। इसके अलावा एबीवीपी छात्रों ने विरोध में तोड़फोड़ की।
दो भाग वाली डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन भारत में बीबीसी द्वारा प्रसारित नहीं की गई है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी क्लिप सोशल मीडिया पर साझा करने से प्रतिबंधित कर दिया है।
वहीं एनएसयूआई केरला द्वारा आर्ट फैकल्टी में आज स्क्रीनिंग के लिए 4:00 बजे का समय दिया था, लेकिन इसका आयोजन नहीं हो सका। कोई विवाद ना हो इसलिए गेट के बाहर भारी पुलिस बल तैनात है। पुलिस ने धारा 144 भी लगा दी है। वहीं प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इसे लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रॉक्टर रजनी अब्बी ने पहले ही दिल्ली पुलिस को खत लिखकर उचित कार्रवाई की बात कही है।
दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल की जादवपुर यूनिवर्सिटी में भी इस विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई। वामपंथी संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) ने विश्वविद्यालय परिसर में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की। संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने यह जानकारी दी। पश्चिम बंगाल के ही प्रेसीडेंसी यूनिवर्सिटी में भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की तैयारी चल रही है।
क्या है मामला
ब्रिटिश प्रसारक बीबीसी ने साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाते हुए एक डॉक्यूमेंट्री इंडियाः द मोदी क्वेश्चन जारी की है। बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर प्रोपेगैंडा चलाने, पक्षपात करने और भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगे। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री सीरीज का पहला हिस्सा इसी माह जारी किया गया था, जिसे भारत सरकार ने ब्लॉक किया है। विदेश मंत्रालय ने इसे 'प्रोपेगैंडा पीस' बताया था। सरकार के बैन लगाने के बाद कई विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस कदम की आलोचना की।हालांकि, कई विश्वविद्यालयों में छात्र संगठनों द्वारा इसकी स्क्रीनिंग की जा रही है, जिसके कारण विवाद गहराता जा रहा है। सबसे पहले केरल में इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई। इसके बाद भाजपा के युवा मोर्चा ने प्रदर्शन किया था।
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