हम जहां खड़े हो जाते हैं...

Amitabh bachchan

Khabargali। हम जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहां से शुरु होती है.... इस संवाद में जो मजा है वो मजा अब नजर नहीं आता. ये शख्स जिसने ये संवाद बोले वो अब भी जहां खड़े हो जाते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है. फिल्मी दुनिया के 50 साल के सफर में उन्होंने अभिनय और सफलता की एक ऐसी रेखा खींच दी है कि बहुतों के लिए वह लक्ष्मण रेखा बन गई है.

अमिताभ बच्चन बॉलीवुड से खफा हैं, और क्यों न हों? अमिताभ बच्चन की बदला को प्रशंसकों और आलोचकों ने खूब पसंद किया, लेकिन फिल्म उद्योग ने उनकी इस कामयाबी को तवज्जो ही नहीं दी. बिग बी ने इस बात की शिकायत ट्विटर के जरिए फिल्म के निर्माता यानी बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान से की. उन्होंने लिखा, "अभी तक किसी ने इस मूक कामयाबी के बारे में चर्चा शुरू की!! क्योंकि निमार्ता, वितरक और फिल्म उद्योग के किसी भी शख्स ने तो बदला की तारीफ में अभी तक नैनो सेकेंड भी नहीं बिताया है."

उम्र के 7वें दशक से गुजर रहे बच्चन का एक लीड हीरो के तौर पर इस तरह के हालात से घबराना लाजिमी है, क्योंकि फिल्म उद्योग बेहद क्रूर जगह है, जहां हर शुक्रवार नियति का फैसला होता है.  यह सिनेमाई दुनिया की रीत है कि अनुभवी और पुराने अदाकारों की तुलना में नए अदाकारों को तवज्जो दी जाती है. पुराने अभिनेताओं से उम्मीद की जाती है कि वग उन किरदारों में खुद को ढाल लें, जो जवान हीरो और हीरोइन के किरदार को सहारा देने के लिए रचे जाते हैं. लेकिन अपने जमाने के एंग्री यंग मैन रह चुके बच्चन रीति की बेड़ियों को तोड़कर 70 की उम्र में भी मुख्य किरदार निभा रहे हैं और यह कारनामा भारत ही नहीं पूरी दुनिया के सिनेमा में काफी दुर्लभ है. 

बच्चन ने परंपराओं की लकीरों को धकेलकर अपनी जगह बनाई है और साथ ही पुराने अभिनेताओं के लिए उम्मीद का रास्ता भी दिखाया है. बदला की कामयाबी अमिताभ बच्चन के लिए दुनियाभर में मौजूद वक्त और उम्र के सिनेमाई रिवाजों के खिलाफ लिया गया बदला लगती है. पीछे की तरफ करीब चार दशक मुड़कर देखते हैं, तो अमिताभ बच्चन ने बदला की तरह ही 1974 में पश्चिम के एक थ्रिलर पर आधारित बेनाम फिल्म की थी, जिसे बदला के नौजवान निर्देशक सुजोय घोष की तरह ही उस दौर के नवोदित निर्देशक नरिंदर बेदी ने निर्देशित किया था. 

बेनाम से बदला तक अमिताभ बच्चन का करियर सतत उत्कृष्टता की कहानी है. 1969 से करियर की शुरूआत करने वाले अमिताभ बच्चन को उनकी मेहतन और पेशेवर अंदाज के लिए जाना जाता है. किसी भी क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति जो अपने अंदर श्रेष्ठता की भूख रखता है, उसके लिए अमिताभ बच्चन मिसाल और मशाल दोनों हैं. उनके जीवन की कहानी को कई लोगों ने लिखा है और ज्यादातर भारतीय उनकी कहानी से वाकिफ हैं. 

(प्रदीप चंद्र और विकास चंद्र सिन्हा की जल्द ही प्रकाशित होने जा रही किताब अमिताभ बच्चन- ए कलाइडोस्कोप से )