
रायपुर (khabargali) गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज (जीईसी) के विद्यार्थियों ने समुद्री व्हेल की पहचान और ट्रैकिंग के लिए एक सिस्टम डेवलप किया है। ये सिस्टम सैटेलाइट इमेज को रिमोर्ट सेंसिंग टेक्नोलॉजी का उपयोग कर समुद्री क्षेत्रों में मौजूद व्हेल की हरकतों को रेकॉर्ड करता है। इसकी मदद से व्हेल किस प्रजाति की है, उनकी उम्र कितनी है, जैसी जानकारी प्राप्त होगी।
आईईईई (इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स) की ओर से आयोजित चौथे स्टूडेंट ग्रैंड चैलेंज में विनर होने के बाद इस प्रोजेक्ट के लिए स्टूडेंट्स की टीम को 8 हजार यूएस डॉलर स्वीकृत भी हुुए थे। इंजीनियरिंग के स्टूडेंट स्टडी पूरी होने के बाद 8 अगस्त को ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में होने वाले सेशन में इसे प्रजेंट करेंगे। प्रजेंटेशन के लिए स्टूडेंट्स की टीम रवाना भी हो गई है।
टीम के पार्थेश खंडेलवाल ने बताया कि हमने ऐसे प्रोजेक्ट पर काम किया है, जिसमें सैटेलाइट इमेज को रिमोट सेसिंग टेक्नालॉजी के जरिए समुद्री क्षेत्र में व्हेल की स्थिति, संख्या, व्हेल की पहचान जैसी जानकारी देने के लिए ऑटोमेटिक सिस्टम डेवलप किया है। यह सिस्टम डेटा मिलने के साथ ही साथ खुद भी सीखते रहेगा। सॉफ्टवेयर सैटेलाइट के लाइव इमेज और 24 घंटे की इमेज के अनुसार आइडेंटिफाई करता है कि कितनी व कौन सी प्रजाति की व्हेल हैं, उनकी उम्र कितनी है। इसके अलावा व्हेल के माइग्रेशन और बिहेवियर की स्टडी भी की जा सकती है।
सीएसई डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. आरएच तलवेकर ने बताया कि प्रोजेक्ट पर लगभग डेढ़ साल तक रिसर्च किया गया है। हर माह इसे लेकर प्रजेंटेशन होता था। इसमें कार्य के प्रोग्राम के बारे में बताया जाता था। इसमें अलग-अलग सॉफ्टवेयर की मदद से काम किया गया।
वहीं अलग-अलग जगह से सैटेलाइट इमेज लेकर प्रोजेक्ट को पूरा किया गया है। स्टूडेंट ग्रांड चैलेंज में रायपुर जीईसी की टीम के साथ ही बीजिंग (चीन), बोगोटा (कोलंबिया) और पश्चिम जावा (इंडोनेशिया), आंध्रप्रदेश की टीम विनर रही थी। सभी को अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम करना था।
ये हैं टीम के सदस्य
टीम में पार्थेश खंडेलवाल, रोहन चंद्राकार, देव साहू, अंजली रॉय, अनम खान, शार्दुल विनय खानांग, मेघा पंडित, ऋषभ बंछोर, ऊर्जा राहुल पारख और श्रेयांशी आर तलवेकर शामिल हैं। टीम के सुपरवाइजर सीएसई डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. आर एच तलवेकर हैं।
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