’मानसिकता’ सिर्फ़ एक कार्यक्रम नहीं, एक मुहिम है, सोच बदलने की - हिमांशु कुमार

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कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना है, एक नया नज़रिया प्रदान करना है’

रायपुर ( Khabargali) गुरुवार 29 मार्च की शाम वृंदावन हाल में ‘मानसिकता’ कार्यक्रम का आयोजन रायपुर के ऊर्जावान विद्यार्थियों द्वारा किया गया। इस कार्यक्राम में श्री राम पुनियानी जी एवं श्री हिमांशु कुमार जी ने जनता को सम्बोधित किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना है, एक नया नज़रिया प्रदान करना है।’मानसिकता’ सिर्फ़ एक कार्यक्रम नहीं, एक मुहिम है, सोच बदलने की। सोच - जाति, धर्म, मानव अधिकार तथा सभी सम्वेदनशील मद्दों पर।

श्री राम पूनियानीजी पेशे से चिक़ित्सा के  शिक्षक है लेकिन इन्होंने सामज में सांप्रदायिक सौहर्द स्थापित करने के लिए जो पहल की हैं वह इन्हें दूसरी से अलग बनाती है।वासुदेव क़ुतुम्बकम की राह पर चलने की इनकी मुहिम से हमें प्रेरणा मिलती है।

छतीसगढ़ राज्य में आदिवासी एवं मानव अधिकरों की लड़ाई में श्री हिमांशु कुमार का योगदान सराहनीय है।उनकी गांधीवादी विचारधारा और उसी राह पर चलकर किए 17 वर्षीय संघर्ष से सभी वाक़िफ़ है।इन्होंने छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में बढ़ चढ़ कर समाज सेवा की है।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके हुई। दीप प्रज्वलन श्री दीपक दास जी, जो की हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में professor है, उन्होंने विशिष्ट अतिथि के रूप में किया।इसी के साथ हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर्स श्री प्रदीप बर्मन एवं श्री आशुतोष कुमार आहिरे भी मौजूद थे। इसके बाद सामाजिक जागरूकता बढ़ाते हुए साम्प्रदायिक शांति पर एक नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति हुई।

कार्यक्रम में श्री राम पूनियानी ने स्काइप द्वारा अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने सभी धर्मो से प्रेम करने का संदेश दिया। उन्होंने साम्प्रदायिक राजनीति और दंगो पर चर्चा करते हुए उसपर दुःख जताया तथा नकारात्मक सोच से दूर रहने की सलाह दी।उन्होंने अपने जीवन के अनुभव और इतिहास के उदाहरणो को बाँटकर सोच बदलने की पहल की।हिंदू-मुसलमान में बढ़ते हुए साम्प्रदायिक तनाव पर चिंता जताई। उन्होंने अकबर, औरंगज़ेब, शिवाजी महाराज, गांधी,नेहरू आदि के बारे में बात की। इतिहास तो देखने का नज़रिया सोच बदल सकता है। भक्ति एवं सूफ़ी परम्परा का उदाहरण देते हुए उन्होंने शांति का संदेश दिया।

श्री हिमांशु कुमार ने अपने बातचीत में मानव अधिकारों का महत्व बताया। भारतीय समविधान हमें कुछ मौलिक अधिकार देता है लेकिन आज आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी सभी को ये अधिकार नहीं मिल पा रहे है। उन्होंने हमें इन अधिकारी की माँग कर उनके लिए शांतिपूर्ण तरीक़े से हासिल करने की राह दिखाई। उन्होंने अपने संघर्ष के अनुभव बताए तथा सभी को सामज सेवा करने के लिए प्रेरित किया।

ऐसे आया ‘मानसिकता’ के आयोजन का विचार

कार्यक्रम की आयोजक कृतिका चंदेल हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविधायल की बी.ए.एल एल. बी. की छात्रा है। देश में चल रही साम्प्रदायिक उथल पुथल को देखते हुए और अपने राज्य छत्तीसगढ़ की आदिवसीं जनता के अधिकारो की लड़ाई में अपना योगदान देते हुए इन्हें ‘मानसिकता’ के आयोजन का विचार आया। कृतिका चंदेल के साथ साक्षी वर्मा, श्रीम थिते, युतिका चंदेल, हर्ष पुजारा, आकांशा चौधरी, आयुषि शर्मा एवं सौम्या शुक्ला ने भी आयोजन में साथ दिया। इसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए आगे भी ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया ज़ाएगा। इस कार्यक्रम में युवा, सामज सेवी तथा हर उम्र के लोगों ने भाग लिया।

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Kritika Chandel
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