रामनाम का अनूठा जन उत्सव के 86 बरस

86 years of unique public festival of Ramnaam, continuous Ram tune of 'Jai Raghupati Raghav Raja Ram, Jai Patit Pavan Sitaram' in Bhatapara, Chhattisgarh, Ramanandi Mahant Salikram Das of Ayodhya, Mohandas Temple, Chana Temple priest Bhagwan Das Ji Dixit, Ravindra Ginnoure, Chhattisgarh, Khabargali

भाटापारा (khabargali) छत्तीसगढ़ के भाटापारा में 'जय रघुपति राघव राजा राम,जय पतित पावन सीताराम'' की अखंड राम धुन एक सप्ताह तक चलती है। 86 बरस से हर साल भादों माह की द्वितीया से नवमीं तिथि तक संकीर्तन होता है और फिर निकलती है श्री राम की शोभा यात्रा। रथ पर राम दरबार की तस्वीर और उसकी अगुवाई करती हैं गांव गांव से आई भजन मंडलियां। सैकड़ों की तादाद में रंग-बिरंगी वेशभूषा लिए नाचती गाती भजन मंडलियां जब निकलती हैं वह दृश्य देखते ही बनता है जिसमें विभिन्न समाज की सांस्कृतिक छबि एकाकार हो उठती है। एक अदभुत जनउत्सव जिसे देखने के लिए दूरदराज से लोग आते भावविभोर हो उठते हैं। जहां बरसते मेह में सराबोर हो नाचती,गाती भजन मंडलियों का उत्साह देखते बनता है ।

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'अखंड राम नाम सप्ताह' ऐसे ही नहीं शुरू हुआ! सन 1937 के आषाढ़ और सावन माह में पानी नहीं बरसा था। नदी सूख चली थी। कुआं, तालाब तो पहले ही रीत गये थे। खेतों में दरार पड़ रही थी। किसान व्याकुल हो उठे थे। पीने के पानी के लिए मारामारी होने लगी थी। भयावह अकाल की आशंका से लोग भयभीत हो उठे थे। अकाल के संकट से उबरने के लिए एक जनसमूह तब जा पहुंचा अयोध्या के रामानंदी महंत सालिकराम दास जी के पास। महंत सालिकराम जी उस समय भाटापारा में अपना चतुर्मास व्यतीत करने के लिए रुके थे। लोगों ने महंत जी से अकाल से मुक्ति के लिए उपाय पूछा। महंत सालिकराम ने कहा, "कलयुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर उतरई भवपारा" और समझाया कि कलयुग में राम का नाम लेने से सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए जय रघुपति राघव राजा राम,जय पतित पावन सीताराम महामंत्र का अखंड जाप करें। श्री राम सब संकट हर लेंगे!

फिर क्या था..! मोहनदास मंदिर, चना मंदिर के पुजारी भगवान दास जी दीक्षित की अगुवाई में लोग आ जुटे। अखंड जाप में रामलाल गुप्ता, कन्हैयालाल कारीगर, पुत्तीलाल गुप्ता, शिवप्रसाद सोनी, ददुआ पंडित, मन्नूलाल तिवारी आदि लोगों ने अखंड राम धुन आरंभ की। देव योग से संकीर्तन शुरू होने के 48 घंटे में बारिश शुरू हो गई। राम धुन थमी नहीं और बारिश होते रही। लोगों के चेहरों में रौनक लौट आई। गांव-गांव में बारिश होने का समाचार सुनकर लोग प्रसन्न हो उठे। और तब से साल दर साल 'अखंड राम नाम सप्ताह' का सिलसिला प्रारंभ हुआ।

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वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम पुरोहित बताते हैं, कि वर्तमान चना मंदिर के दूसरी ओर लटूरिया मंदिर और उसके पीछे करिया तालाब के बीच एक बड़ा मैदान था,जहां तुलसी चौरा था। इसी स्थान पर अस्थाई रूप से मंडप 1939 में तैयार हुआ। अखंड संकीर्तन समाप्ति के बाद राम की शोभा यात्रा निकाली जाने लगी। गांव गांव भजन मंडलियों को आमंत्रित किया गया। सैकड़ों भजन मंडली शोभायात्रा में शामिल होती हैं। अखंड राम नाम सप्ताह और शोभायात्रा धीरे-धीरे विशाल जन उत्सव में बदल गई। इसमें सभी धर्म, जाति के लोग बिना भेदभाव आ जुटते हैं ,हर साल।

उत्सव का गुरुतर भार संभालने के लिए रामनारायण चांडक, मदन गोपाल राठी, शिव प्रसाद अग्रवाल, मीठालाल मल, दुलीचंद गांधी, मोतीलाल भोजवानी, बिजेलाल तिवाड़ी जैसे लोग सामने आए। जन सहयोग से गांव गांव से आई मंडलियों के भोजन की व्यवस्था शुरू हुई । उत्तरायण संस्था ने दर्शकों के लिए नाम मात्र शुल्क लेकर भोजन का इंतजाम प्रारंभ किया ।इसका अनुकरण करते हुए व्यापारी संघ एवं विभिन्न समाज के लोग दर्शकों को लिए उत्तम भोजन का इंतजाम करने लगे जो आज भी चल रहा है। शोभा यात्रा के दौरान हर गली मोहल्ले में तरह-तरह की भोज्य सामग्री निशुल्क बांटी जाती है । विशाल जनमानस को देखते हुए तमाम नामी कंपनियां आ जुटती है। बड़े आग्रह के साथ दर्शकों को भोजन के लिए बुलाया जाता है।

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भाटापारा के अखंड राम नाम सप्ताह को बनाए रखने में लोग आगे आते रहे। इनमें तुलसीराम मूंदड़ा, तारानाथ मिश्रा, प्रतापचंद अग्रवाल, गोवर्धन भट्टर, मदनलाल लाहोटी, करमचंद बाबू, मुरलीधर सेठ, माधव वाढेर, प्रभु लाल, रामप्रसाद पुरोहित के सहयोग से अखंड रामनाम सप्ताह का आयोजन निर्बाध चलता रहा। अकाल के संकट से उपजा अखंड कीर्तन छत्तीसगढ़ का अनूठा जन्म उत्सव बन गया है। श्री राम की शोभायात्रा में भाग लेने गांव गांव से हजारों की तादाद में भजन मंडलियां भाटापारा पहुंचती हैं।एक के बाद एक सैकड़ों भजन मंडली राम धुन की अगुवाई करती चलती हैं।शोभा यात्रा दोपहर से शुरू होकर नगर भ्रमण कर अलसुबह रामनाम सप्ताह मंडप में पहुंचती हैं। पूरा नगर भजन मंडलियों स्वागत में आ खड़ा होता है। 1960 में अखंड राम नाम सप्ताह का भव्य मंडप तैयार हुआ।

मदनलाल अग्रवाल, रमेश शर्मा ने बताते हैं कि इसी के साथ 2 दिन महिलाओं का अखंड संकीर्तन शुरू हुआ। संकीर्तन भादों कृष्ण एकादशी से त्रयोदशी चलता है। 86 बरस से अखंड सकीर्तन आज भी चला आ रहा है। ऐसा धार्मिक उत्सव जहां जात पांत, छुआछूत का नामोनिशान नहीं दिखता। राम सप्ताह और शोभायात्रा में सभी भक्तजन भक्ति भाव में सराबोर होते एकाकार नज़र आते हैं.!

-रविन्द्र गिन्नौरे

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