वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम दौर में

34 month old Anika made a world record, told the names of the capitals of 51 countries in just 95 seconds, Anika Jain, Sunder Nagar, Raipur, Chhattisgarh, Khabargali

 उज्ज्वल दीपक की कलम से

ख़बरगली @साहित्य डेस्क

हिंसा द्वारा लोकतंत्र को चुनौती देने का वामपंथी उग्रवादियों का लंबा इतिहास रहा है। इस तथाकथित "विचारधारा की लड़ाई" ने प्रभावित क्षेत्रों में न सिर्फ विकास ठप किया बल्कि पिछले चार दशकों में हिंसा के चलते 16,652 सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों ने जान गंवाई हैं । विडम्बना यह है की उग्रवादियों ने जल, जंगल और जमीन की लड़ाई की आड़ में विकास कार्यों का अवरोध किया और स्कूल, अस्पताल एवं सड़कों के निर्माण होने से रोका है। आदिवासियों के हक़ की बातें करने वाले गैर सरकारी संगठन एवं विदेशी वित्तीय सहायता से पनप रहे कुछ अर्बन नक्सलियों की मदद से विदेशी हथियारों की खेप इन उग्रवादियों तक पहुंचाई जाती रही है।

 युद्ध जब कौरवों और पांडवों के बीच हो तो कृष्ण बड़ी ही सरलता पूर्वक अपने शिविर का चुनाव कर सकते हैं किंतु जब युद्ध में एक तरफ़ पांडव और एक तरफ़ पांडव के भेष में कौरव आ खड़े हों तो कृष्ण भी अपने शिविर का चयन करने में भ्रमित हो सकते हैं। आदिवासियों को ढाल की तरह इस्तेमाल करने की वजह से ही सरकार को बल प्रयोग करने से पहले कई बार सोचना पड़ता है। दशकों से कांग्रेस सरकार की वामपंथियों के प्रति सहानुभूति, जिसकी वजह से उपजी विफलता और शोषण के फलस्वरूप ही इतने वर्षों तक आदिवासी समुदाय को वामपंथी उग्रवाद दिग्भ्रमित करने में सफल होता रहा है।

2014 के बाद से इस स्थिति में आमूलचूल बद्लाव हुए हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित शाह जी के कड़े निर्णयों की वजह से वामपंथी उग्रवाद का प्रभाव आज बहुत सीमित हो चुका है और लड़ाई अब अंतिम दौर में पहुँच चुकी है। आत्मनिर्भर नए भारत में विकास और शांति के सन्देश के साथ गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए तीन आयामी रणनीति बनाई। “बेहतर रणनीति से उग्रवादियों पर लगाम”, “बेहतर केंद्र-राज्य समन्वय” और “विकास से जन भागीदारी”।

इस तीन आयामी रणनीति से पिछले 10 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद पर लगाम कसने में ऐतिहासिक सफलता मिली है जो कि आंकड़ों से परिलक्षित होती है। पिछले 35 वर्षों में वामपंथी उग्रवाद से सबसे कम हिंसक घटनाएँ और 40 वर्षों में सबसे कम मृत्यु इस वर्ष रिपोर्ट की गई। हिंसक घटनाएं वर्ष 2010 के उच्च स्तर की तुलना में 76% घट गईं और जान गंवाने वाले नागरिकों तथा सुरक्षाकर्मियों की संख्या वर्ष 2010 के सर्वाधिक स्तर 1005 से 90% घटकर वर्ष 2022 में 98 रह गई। वामपंथी उग्रवाद के भौगोलिक प्रसार में भी लगातार गिरावट आई है। पिछले वर्ष हिंसा की घटनाएं केवल 45 जिलों के 176 थानों से रिपोर्ट की गई थी, जबकि 2010 में 96 जिलों के 465 थानों में हिंसा की घटनाएं हुई थीं। वामपंथी उग्रवाद का सिकुड़ता दायरा इस बात से भी परिलक्षित होता है कि पिछले वर्ष 72% हिंसा की सूचना केवल 10 जिलों से रिपोर्ट हुई है। थानों के स्तर पर देखें तो 50% हिंसा केवल 30 थानों से रिपोर्ट हुई हैं। पिछले कई दशकों के बाद पहली बार आम नागरिकों और सुरक्षाबलों की मृत्यु की संख्या विगत वर्ष 2021 में 100 से कम रही।

प्रभावित दूरस्थ अंचलों तक सुशासन की पहुँच ने आज जनता के दिल में सरकार के प्रति विश्वास का सेतु निर्माण किया है। वामपंथी उग्रवाद ऐतिहासिक रूप से ऐसे क्षेत्रों में पनपा जहां पर गरीबी ने अपनी जड़ें जमा रखी थी। उनके विचार से प्रभावित समूहों ने गरीबी से प्रभावित लोगों की असंतुष्टि को खाद पानी के रूप में इस्तेमाल करके यहाँ पर उग्रवाद के बीज बोए थे। इन समूहों को स्थानीय समर्थन मिलने की वजह से सुरक्षा संस्थाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता था। परन्तु 2014 के बाद स्थिति बदली। मोदी सरकार की गरीब कल्याण की योजनाओं का प्रसार इन क्षेत्रों में भी हुआ और लोगों को यह विश्वास हुआ की सरकार ही उनकी सच्ची हितैषी है, न कि उग्रवादी! विकास से जन भागीदारी के तहत प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में और गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रभावित क्षेत्रों में गरीब कल्याण और विकास के लिए योजनाओं पर अतिरिक्त जोर देकर सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की है।

उग्रवादियों पर लगाम कसने की रणनीति के तहत सुरक्षा वैक्यूम तथा कोर एरिया को कम किये जाने के भरसक प्रयास किये गए हैं. 2019 के बाद से 195 नए शिविर खोले गए हैं, जिन्होंने कुछ क्षेत्रों को छोड़ कर प्रभावित क्षेत्रों में सिक्यूरिटी वैक्यूम लगभग शून्य कर दिया है। इस रणनीति के सकारात्मक परिणाम देखे जा रहे है और बिहार के बरमसिया, चकरबंदा तथा झारखंड के बूढ़ा पहाड़, पारसनाथ जैसे माओवादियों के गढ़ों में अपने कैम्प स्थापित कर वहाँ पर सेक्युरिटी वैक्यूम को पूरी तरीके से खत्म करने में सफलता प्राप्त की है। परिणाम यह है की वामपंथी उग्रवादियों का दायरा सिकुड़कर कुछ अंचलों तक ही सीमित रह गया है। इंटेलिजेंस आधारित ऑपरेशनों के माध्यम से 14 पोलिटब्यूरो तथा सेंट्रल कमेटी मेम्बर के नेताओं को न्यूट्रलाइज कर दिया गया है, जिससे वरिष्ठ माओवादी नेतृत्व में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया है।

 सुरक्षा बलों ने उग्रवादियों के खिलाफ ऑफेंसिव रणनीति अपनाते हुए नक्सलियों को घेरा और इसी नीति के तहत फरवरी 2022 में झारखंड के लोहरदगा जिले में नव स्थापित सुरक्षा कैम्पों का उपयोग करके 13 दिवसीय संयुक्त अभियान को कई सफलताएं मिली। वित्तीय चोकिंग की दिशा में, राज्यों, ED एवं NIA द्वारा कुल 68.57 करोड़ रुपये की नगदी एवं संपत्ति जब्त की गई है. NIA में अलग वर्टिकल स्थापित करने के साथ स्पेशल टास्क फोर्स की विशेषज्ञता और नॉलेज शेयरिंग की सहायता से केंद्रीय तथा राज्यों की पुलिस बलों में स्पेशल ऑपरेशन टीम्स का गठन कर नवीनतम टेक्नोलॉजी का उपयोग कर तकनीकी और सामरिक सहायता के साथ वामपंथी उग्रवाद को कमजोर किया गया है । एयर सपोर्ट के लिए प्रमुख नाईट लैंडिंग हेलिपड्स का जल्द निर्माण करने के लिए विशेष फंड उपलब्ध कराया गया है।

बेहतर केंद्र राज्य समन्वय के तहत केंद्र ने प्रभावित राज्यों की सरकारों को बिना भेदभाव के केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल बटालियन, हेलीकॉप्टर, प्रशिक्षण, राज्य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण के लिए धन, उपकरण और हथियार, खुफिया जानकारी, फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन का निर्माण आदि के लिए मदद मुहैय्या करवाई। राज्यों के क्षमता निर्माण के लिए पिछले 09 वर्षों में प्रभावित राज्यों को 2606 करोड़ रुपये जारी किए गए (9 वर्षों में लगभग 124% की वृद्धि) राज्यों के विशेष बलों और विशेष खुफिया शाखाओं को पिछले पांच वर्षों में 1724 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी मिली है। 536 फोर्टीफाईड पुलिस स्टेशन का निर्माण किया गया और 102 फोर्टीफाईड पुलिस स्टेशन बनाए जा रहे हैं। केंद्रीय एजेंसियों को सहायता योजना के तहत कैंप इंफ्रास्ट्रक्चर हेतु 106 करोड़ और 6 अस्पतालों के उन्नयन के लिए 12.06 करोड़ रुपये दिए गए।

 सड़क सम्पर्क को बेहतर करने के लिये 12100 किलोमीटर सड़कों की स्वीकृति पिछले 9 वर्षों में दी गयी और लगभग 10350 किलोमीटर सड़कों का निर्माण हुआ है। डाक विभाग ने प्रभावित जिलों में पिछले 9 वर्षों में बैंकिंग सेवाओं के साथ 4903 नए डाकघर खोले। अप्रैल-2015 से अब तक 30 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में 955 नई बैंक शाखाएं और 839 एटीएम स्थापित किये गए। संचार को गति देने के लिए पहले चरण में 4080 करोड़ रुपये की लागत से 2343 मोबाइल टावर लगाए गए और दूसरे चरण में 2210 करोड़ रुपये के व्यय से 2542 मोबाइल टावर लगाए जा रहे हैं। 214 एकलव्य स्कूल की स्वीकृति 2014 के पश्चात दी गई है इनमें से 163 एकलव्य स्कूल की स्वीकृति पिछले 04 वर्षो में दी गई है। 11 केन्द्रीय विद्यालय तथा 6 नवोदय विद्यालय खोले गये हैं। कौशल विकास योजना से 495 करोड़ रुपये की लागत से 48 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और 68 कौशल विकास केंद्र स्वीकृत किये गये। प्रभावित क्षेत्रों तैनात केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों की कंपनियों द्वारा स्थानीय आबादी के लिए स्वास्थ्य शिविर, पेयजल, सोलर लाइट, दवाओं का वितरण, कौशल विकास, कृषि उपकरण, बीज आदि जैसी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं जिसमें मई, 2014 से अब तक 140 करोड़ रुपये के कार्य किए हैं। जनजातीय युवा एक्सचेंज कार्यक्रम के तहत अब तक 26.5 करोड़ रुपये के खर्चे के साथ 22,000 युवाओं को देश के बड़े और विकसित क्षेत्रों के दौरे के लिए ले जाया गया। इसका उद्देश्य इन युवाओं को तकनीकी/औद्योगिक उन्नति से अवगत कराना है ताकि उन्हें वामपंथी उग्रवाद के प्रभाव से दूर किया जा सके।

सरकार की विकास योजनाओं के लाभ को सर्वसाधारण तक पहुंचाने की पहल सफल हुयी है और इससे नक्सलियों की संरचना में दबाव महसूस हो रहा है. गरीबों और आदिवासियों को समाज में समाहित करने और सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में लोगों का आत्म-विश्वास बढ़ रहा है । भारतीय संविधान में विरोध और विचारों में मतभेद को पूरे सम्मान के साथ स्वीकार किया गया है। 125 करोड़ से अधिक जनसंख्या और 10,000 से ज़्यादा बोलियाँ और सर्वाधिक सांस्कृतिक समृद्धता वाले भारत में सभी के विचारों का एक दूसरे से सहमत होने की कल्पना भी बेमानी होगी। किंतु जब ये मतभेद “विचारों” की जगह “हथियारों” से प्रकट किए जाएँ तो वही संविधान शासन को कड़े कदम उठाने की भी शक्ति प्रदान करता है। विदेशी हथियारों और देश विरोधी ताकतों के सहयोग से देश की अखंडता और प्रभुता के लिये एक चुनौती बन कर खड़े होने वाला वामपंथी उग्रवाद अब समाप्ति की और है और प्रधानमंत्री मोदी का "सबका विकास, सबका साथ, सबका प्रयास" अब मूर्त रूप ले रहा है।

- उज्ज्वल दीपक

लोक प्रशासन, (कोलंबिया विश्वविद्यालय, न्यूयॉर्क ) uvd2000@columbia.edu