ख़बरगली @ साहित्य डेस्क
भगवद्गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कोई भी व्यक्ति कर्म किए बगैर नहीं रह सकता। समस्त संसार मेरे एक इशारे पर चलता है, फिर भी मैं कर्म करता हूँ। क्योंकि यदि मैं कर्म करना छोड़ दूँ, तो ब्रह्माण्ड का कर्मचक्र रुक जाएगा और कोई भी कर्म का निर्वाहन नहीं करेगा। यह स्पष्ट है कि तीनों लोकों में परमात्मा के लिए कोई भी कर्तव्य शेष नही है न ही किसी वस्तु का उनको अभाव है न ही किसी वस्तु को प्राप्त करने की इच्छा है, इसके बावजूद वे कर्तव्य समझ कर कर्म करने में लगे रहते हैं। मनुष्य सब प्रकार से परमात्मा के कर्तव्य कर्म जो वे बरतते हैं। उसी मार्ग का अनुसरण करता है। ऐसा इसलिए है
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