16 महीने तक व्हीलचेयर पर थे यतिंदर, इच्छा शक्ति से बने वर्ल्ड चैंपियन..जानिए उनकी स्ट्रगल स्टोरी

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सहारनपुर निवासी 38 साल के यतिंदर स्ट्रॉन्ग विलपावर के जीते-जागते एग्जाम्पल हैं

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रायपुर (khabargali) यतिंदर सिंह फिटनेस इंडस्ट्री का प्रसिद्ध नाम है। बॉडी बिल्डिंग और फिटनेस इंडस्ट्री से जुड़ा शायद ही कोई शख्स हो जो उनके बारे में न जानता हो। कल छत्तीसगढ़ प्रवास पर आ रहे यतिंदर सिंह फिटनेस इंडस्ट्री का जाना पहचाना नाम है। इनके नाम अब तक काफी पदक है ,लेकिन 7 वे वर्ल्ड बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप में रजत जीतना सबसे खास है ,वही उनके नाम वर्ष 2015 का फिजिक चैंपियनशिप ख़िताब है साथ ही वर्ष 2016 में इन्होने मिस्टर इंडिया का ख़िताब अपने नाम किया |आज यतिंदर एक महशूर फिटनेस ट्रेनर है और ऑनलाइन मीडिया में काफ़ी प्रचलित है वह यंगस्टर्स को मोटीवेट करने के लिए लगातार कैंपेन चलाते रहते हैं। यतिंदर अपने यू-ट्यूब चैनल (Yatinder Singh) पर लगातार फिटनेस से संबंधित नए-नए वीडियो अपडेट करते रहते हैं। 2006 में यतिंदर का बहुत बड़ा एक्सीडेंट हुआ। उस हादसे में उनकी स्पाइनल कॉर्ड की एल-4, एल-5 और एस-1 पूरी तरह डैमेज हो गई और जिसकी वजह से उनकी बॉडी राइट साइड से पूरी तरह पैरालाइज हो गई। यतिंदर की हालत ऐसी थी कि वे खुद से चल-फिर भी नहीं पाते थे लेकिन उनकी मजबूत इच्छा शक्ति के चलते अब कहानी कुछ और ही है।

यतिंदर की यह आपबीती हैरान करने वाली हैै

यतिंदर ने बताया कि उनके घर में दादा जी और पिता का शारीर काफी लंबा चौड़ा था। जबकि 12 साल की उम्र तक वे काफी दुबला-पतले थे। उनकी सेहत को लेकर घर में सब परेशान रहते थे। एक बार स्कूल में गेम टीचर ने बोला - यतिंदर आप बहुत दुबले-पतले हो, आखिर अपनी लाइफ में क्या करोगे। उन्होंने तभी ठान लिया कि वे अपनी बॉडी से ही फेमस होकर दिखाएंगे। टीचर के तानों के बाद यतिंदर ने जिम जाना शुरू कर दिया। वे घंटो जिम में रहकर कसरत करने लगे। उनके ऊपर जैसे बॉडी बनाने का जूनून सवार हो गया। कोच ने भी की मेहनत, तब बनी ऐसी बॉडी यतिंदर बताते हैं कि उनके साथ उनके कोच ने भी बहुत मेहनत की। वे शहर में होने वाले हर बॉडी बिल्डिंग कॉम्पीटीशन में भी उन्हें लेकर जाने लगे। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से कला वर्ग में स्नातक कर चुके उन्होंने फिटनेस और बॉडी बिल्डिंग में अपने कैरियर को आगे बढ़ाने का फैसला किया। 2003 में यतिंदर ने एक जिम में ट्रेनर की जॉब ज्वाइन की 2003 में यतिंदर ने एक जिम में ट्रेनर की जॉब ज्वाइन की । वे ट्रेनिंग देने के साथ ही वे आसपास के जिलों में होने वाले बॉडी बिल्डिंग कॉम्पीटीशन में हिस्सा लेते थे। कुछ ही महीनों में सहारनपुर में उनका नाम बॉडी बिल्डिंग की फील्ड में सबसे ऊपर आ गया। 2004 में पहला फेडरेशन कप जीता 2004 में यतिंदर ने पहला फेडरेशन कप 75 किग्रा वर्ग में जीता था। इसके बाद साल 2006 तक इनकी झोली में कई इनाम आए।

2006 में हुए एक्सीडेंट ने दो साल जिम से दूर रखा

2006 में यतिंदर का बहुत बड़ा एक्सीडेंट हुआ। उस हादसे में उनकी स्पाइनल कॉर्ड की एल-4, एल-5 और एस-1 पूरी तरह डैमेज हो गई। जान बचाने के लिए डॉक्टर्स को यतिंदर की स्पाइनल कॉर्ड को छोटा करना पड़ा। सर्जरी काफी कॉम्प्लेक्स थी, जिसकी वजह से उनकी बॉडी राइट साइड से पूरी तरह पैरालाइज हो गई। यतिंदर की हालत ऐसी थी कि वे खुद से चल-फिर भी नहीं पाते थे। उनके मुताबिक उन्हें 16 महीने तक व्हीलचेयर के सहारे जिंदगी बितानी पड़ी। व्हीलचेयर पर होते हुए भी वे लगातार वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने की बात सोचते रहते थे। 2006 में हुए एक्सीडेंट ने दो साल तक यतिंदर को बॉडी बिल्डिंग से दूर रखा। फिर एक बार जिम जाने के लिए फिट होते ही यतिंदर ने दोबारा ट्रेनिंग शुरू कर दी। फिर वे लगातार 7 सालों तक वे जिम में पसीना बहाते रहे, मेहनत करते रहे। 2015 में यतिंदर ने वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियन बनकर अपना लोहा मनवा लिया।

पत्नी नीलम है इनकी स्ट्रेंथ

मार्च 2011 में यतिंदर की जिंदगी में नया मोड़ आया। उन्होंने सहारनपुर की ही रहनेवाली नीलम से शादी की। शादी के बाद उनका करियर दोगुनी रफ्तार से दौड़ने लगा। आज वे खुद का फिटनेस क्लब चलाते हैं और दूसरों को बेहतर जिंदगी जीने के लिए मोटिवेट करते हैं।

यतिंदर को मिले मुख्य अवार्ड

2018 : मिस्टर एशिया बॉडीबिल्डिंग एंड फिजीक चैंपियनशिप - गोल्ड (Mr. Asia Bodybuilding and Physique Championship - Gold)

2017 : तलवलकर क्लासिक चैंपियनशिप - ओवरऑल (Talwalkar Classic Championship - Overall)

2016 : सीनियर मिस्टर इंडिया बॉडीबिल्डिंग चैंपियनशिप - गोल्ड (Sr. Mr. India Bodybuilding Championship - Gold)

2015 : वर्ल्ड बॉडीबिल्डिंग एंड फिजीक चैंपियनशिप - सिल्वर (World Bodybuilding and Physique Championship - Silver) 

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