अंजनी पुत्र हनुमान जी से जुड़े ये 11 रहस्य आप नहीं जानते होंगें

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ख़बरगली (फीचर डेस्क) हनुमानजी के बिना रामायण कभी पूर्ण नहीं मानी जाती। रामायण में राम एवं रावण युद्ध में हनुमानजी ही केवल एकमात्र ऐसे योद्धा थे जिन्हें कोई भी किसी भी प्रकार से क्षति नहीं पहुंचा पाया था। घोषित तिथि के अनुसार आज पवन पुत्र का जन्मदिन है। भगवान राम के जन्मदिन के ठीक 6 दिन बाद रुद्र ने अपना ग्यारहवां अवतार हनुमान रूप में धारण कर लिया। प्रभु राम के परम भक्त हनुमान जी का जन्मदिन चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। हनुमान जी को कई देवी-देवताओं ने वरदान स्वरूप शक्तियां दी हैं। अकेले देवी सीता ने उन्हें अष्ठ सिद्धियां दी हैं। इंद्र और सूर्य जैसे देवों ने भी उन्हें प्रसन्न हो कर कई शक्तियों का वरदान दिया है। ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें एक वरदान ऐसा भी था, जिसमें ब्रह्मास्त्र का असर भी उन पर नहीं होना शामिल है। हनुमान जी के पास ऐसी चमत्कारिक शक्तियां हैं कि वे मच्छर से छोटा और हिमालय से भी बड़ा रूप धारण कर सकते हैं। उनकी शक्तियों में रहस्य छुपे हुए हैं और यही कारण है कि हनुमान जी को रहस्यमयी भी माना गया है। रामचर‍ितमानस में नहीं म‍िलती वाल्मीकि रामायण की ये कुछ रोचक और अनसुनी बातें । हनुमान जी के अनेकों रहस्य पुराणों में वर्णित हैं। आपको उनके कई रहस्यों में से 7 रहस्य के बारे में बताएं।

भगवान राम के 6 दिन बाद जन्मे थे हनुमान जी

रामनवमी के 6 दिन बाद ही हनुमानजी का जन्मदिन इसलिए मनाते है यह महज संयोग नहीं बल्कि इसके पीछे एक बड़ा कारण है। तुलसीदास जी ने हनुमानजी के बारे में लिखा है कि भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।। यानी रामजी सबके काम बनाते हैं लेकिन उनके काम हनुमान जी बनाते हैं यही कारण है कि रामजी के अवतार लेने के 6 दिन बाद ही रुद्र ने अपना ग्यारहवां अवतार हनुमान रूप में धारण कर लिया।

8,80,111 वर्ष पहले जन्मे थे

हनुमान पुराणों के अनुसार प्रभु श्रीराम का जन्म त्रेतायुग और द्वापर युग के संधिकाल में हुआ था। सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है। कलियुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व से हुआ था। इसका मतलब 3102+2019= 5121 वर्ष कलियुग के बित चुके हैं। उपरोक्त मान से अनुमानित रूप से भगवान श्रीराम का जन्म द्वापर के 864000 + कलियुग के 5121 वर्ष = 869121 वर्ष अर्थात 8 लाख 69 हजार 121 वर्ष हो गए हैं प्रभु श्रीराम को हुए। कहते हैं कि वे 11 हजार वर्षों तक जिंदा वर्तमान रहे। परंपरागत मान्यता अनुसार द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + राम की वर्तमानता के 11,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,121 वर्ष = कुल 8,80,111 वर्ष। अतएव परंपरागत रूप से राम का जन्म आज से लगभग 8,80,111 वर्ष पहले माना जाता है। और इसमें 6 दिन और जोड़ दिए जाएं तो वो हनुमान जी का जन्म माना जायेगा।

हनुमान जी के पसीने का रहस्य

हनुमान जी के पसीने का रहस्य बहुत ही आश्चर्यजनक है। उनके पसीने से उनका एक पुत्र हुआ था। दरअसल हनुमान जी पूरी लंका को भस्म कर समुद्र में अपनी पूंछ की आग बुझाने और अपने शरीर के ताप को कम करने के लिए विश्राम कर रहे थे तब उनके शरीर से टपका पसीना एक मादा मगरमच्छ ने निगल लिया। उनके पसीने की शक्ति से उनका एक पुत्र हुआ मकरध्वज।

हनुमान जी के 108 नाम

हनुमान जी के 108 नाम है। संस्कृत में हर एक नाम का मतबल उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है। यही कारण है कि उनके नाम का जाप करने भर से हनुमत कृपा मिलती है।

कल्प के अंत तक शरीर में रहेंगे

हनुमान हनुमान जी को इंद्रदेव से इच्छा मृत्यु का वरदान मिला है, लेकिन भगवान श्रीराम के निर्देशानुसार उन्हें कलयुग के अंत तक रहना ही है। भगवान राम के वरदान अनुसार कल्प का अंत होने पर उन्हें उनके सायुज्य की प्राप्ति होगी। सीता माता के वरदान के अनुसार वे चिरजीवी रहेंगे। रघुवीर श्रीमद्भागवत के अनुसार हनुमान जी कलियुग में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं।

माता जगदम्बा के सेवक है हनुमानजी

हनुमानजी भगवान श्रीराम के साथ ही माता जगदम्बा के सेवक माने गए हैं और जब माता चलती हैं, तो आगे हनुमान जी चलते हैं और उनके पीछे भैरव बाबा। यही कारण है कि जहां भी देवी का मंदिर होता है, वहां हनुमानजी और भैरव जी के मंदिर जरूर होते हैं। कहीं-कहीं पर पवनपुत्र की गाथा माता वैष्‍णों देवी से भी जोड़ी जाती है।

प्रभु पर ब्रह्मास्त्र भी है बेअसर

ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए, जिसमें सबसे प्रमुख और शक्तिशाली वरदान था, उन पर ब्रह्मास्त्र का असर न होना। ब्रह्ममांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति मानी गई है तो वह हनुमान जी को माना गया है। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती है।

सर्वप्रथम हनुमान जी ने लिखी थी रामायण

हनुमान जी ने हिमालय पर्वत पर रामायण अपने नाखूनों से उकेर कर लिखा था, लेकिन जब तुलसीदास अपनी रामायण हनुमान जी को दिखाने वहां पहुंचे तो उनकी रामायण देख वह दुखी हो गए, क्योंकि वह रामायण बहुत ही सुंदर लिखी गई थी और उनकी रामायण उसके आगे फीकी लगी। हनुमान जी ने जब तुलसीदास के मन की बात जानी तो वह अपनी लिखी रामायण को तुरंत ही मिटा दिए।

ये थे पवनपुत्र के गुरु और यहीं जन्‍में थे वह

यूं तो हनुमानजी ने कई गुरुओं से शिक्षा ग्रहण की थी जैसे सूर्य, नारद मुनि। लेक‍िन इनके अलावा उन्‍होंने ऋषि मातंग से भी शिक्षा ग्रहण की थी। ऋषि मातंग सबरी के भी गुरु थे और ऐसा माना जाता है की हनुमानजी का जन्म भी ऋषि मातंग के आश्रम में ही हुआ था। मातंग ऋषि के आश्रम में माता दुर्गा की कृपा से जिस कन्या का जन्म हुआ था उसका नाम देवी मातंगी है। देवी मातंगी सभी 10 महाविद्याओं में से एक हैं।

जब अपने पूज्‍य श्रीराम से लड़ने चले हनुमान

आपको जानकर हैरानी होगी लेक‍िन यह सच है हनुमानजी और श्रीराम का एक बार युद्ध भी हुआ था। गुरु विश्वामित्र ने श्रीराम को राजा ययाति का वध करने का आदेश दिया। राजा ययाति अपने प्राण की रक्षा के लिए हनुमान जी की माता अंजना के शरण में गया तथा उनके द्वारा हनुमान जी से यह प्रण करवाया क‍ि वे राजा ययाति की श्रीराम से रक्षा करेंगे। माता के आदेश पर हनुमान जी प्रभु राम से राजा ययाति की रक्षा करने गए। हनुमानजी ने किसी अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाए प्रभु राम के नाम का जप करना शुरू कर दिया, राम ने हनुमान जी पर जितने बाण चलाए वे सभी व्यर्थ गए। अंत में विश्वामित्र सहित सभी हनुमानजी की राम के प्रति श्रद्धा भक्ति देख कर आश्चर्यचकित रह गए और विश्वामित्र ने राम को युद्ध रोकने का आदेश देकर राजा ययाति को जीवन दान दिया।

भाई थे हनुमान और कुंती पुत्र भीम

श्रीराम का जन्म 5111 ईसवी पूर्व हुआ था, हनुमानजी का जन्म श्री राम के जन्म से कुछ वर्ष पूर्व हुआ था। इसी तरह श्रीकृष्ण का जन्म 3112 इससे पूर्व हुआ था। इस मान से भीम का जन्म श्री कृष्ण के जन्म से कुछ वर्ष पूर्व हुआ था। हनुमानजी और भीम के जन्म में लगभग 2002 वर्षो का अंतर आता है। ऐसे में आप सोचेंगे क‍ि आख‍िर वह दोनों भाई कैसे हुए? दरअसल हनुमानजी पवन पुत्र हैं और कुंती को भीम भी पवनदेव के आशीर्वाद से प्राप्त हुए थे। इस मान से दोनों के पिता एक ही है। इस तरह भीम को भी पवन पुत्र कहा जाता है व दोनों ही अत्यधिक शक्तिशाली थे। कहा जाता है क‍ि भीम के पास हजार हाथियों का बल था। महाभारत काल में उनके समान शक्तिशाली योद्धा उनके बाद सिर्फ उनका पुत्र था।

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