सीमा निगम की दो लघुकथा

seema nigam

नजरिया  ( लघुकथा )

रजत अपने पन्द्रह वर्षीय बेटे रिषभ को उसके जन्मदिन पर झुग्गी बस्ती में ले गए, वे चाहते थे कि बच्चा अभी से गरीबी के बारे में जानकारी रखें ।दिनभर उनके साथ बिताया साथ में ले गए समान को सबको बाँट दिया फिर वापस लौटते समय रजत ने बेटे से पूछा- "बेटा तुमको दिनभर गरीबों के साथ गुजार कर कैसा महसूस हो रहा? बेटे ने जवाब दिया- 
"जीवन के प्रति इनका रवैया देखकर लग रहा है कि ये लोग दिल के अमीर है।गरीबी के कारण भले ही वे उपेक्षित है पर अपनों के बीच खुश हैं इनके अंदर दुख और पीड़ा का भय नहीं है अभावों के बाद भी ये खुश हैं और हरहाल में खुश रहना सिखाते है।"जवाब सुनकर रजत संतुष्ट हैं कि बेटा जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिए का पाठ चुका है ।
"व्यक्ति अमीर या गरीब अपने नजरिये से होता है ।"
      

टूटते सपने ( लघुकथा )

दो भाइयों के बाद पैदा हुई खूशबू से पूरे परिवार में रौनक थी घर संसार की बगिया उसके महक से सराबोर थी ।जैसे जैसे बड़ी होती जा रही थी उसका सपना खिलाड़ी बनने का था ।लेकिन इस बार जब से राज्य स्तरीय शालीय खेल प्रतिस्पर्धा में भाग लेकर लौटी है वह गुमसुम सी हो गई थी माँ ने कई बार पूछा भी इतनी शाँत क्यों रहने लगी है पर हर बार वह टाल जाया करती ।तीन माह बाद अचानक उल्टी करते देख माँ को शक हुआ ।अस्पताल में जाँच करने के बाद पता चला कि वह गर्भवती है।माँ के होश उड़ गए फिर खूशबू ने बताया कि कैसे प्रतिस्पर्धा मे जाने के दौरान उसके कोच सर ने उसके साथ जबर्दस्ती संबंध बनाए और किसी को कुछ न बताने की धमकी दी सुनकर माँ के होश उड़ गए फिर शुरू हुआ थाना पुलिस व न्यायालय का चक्कर जिसमें बिखर गए उसके सारे सपने।एक दरिंदगी के कारण महकती कली मुरझा गई।
   
-सीमा निगम ,
रायपुर, छत्तीसगढ़