नजरिया ( लघुकथा )
रजत अपने पन्द्रह वर्षीय बेटे रिषभ को उसके जन्मदिन पर झुग्गी बस्ती में ले गए, वे चाहते थे कि बच्चा अभी से गरीबी के बारे में जानकारी रखें ।दिनभर उनके साथ बिताया साथ में ले गए समान को सबको बाँट दिया फिर वापस लौटते समय रजत ने बेटे से पूछा- "बेटा तुमको दिनभर गरीबों के साथ गुजार कर कैसा महसूस हो रहा? बेटे ने जवाब दिया-
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