गोधन न्याय योजना में गौ वंश का सम्मान निहित

Gaudhan nyay yojna, CM Bhupesh Baghel, khabargali

Khabargali.छत्तीसगढ प्रदेश में गौ पालन को धनार्जन की दृष्टि से लाभदायक बनाने , खुले में चराई की रोकथाम और सड़कों पर जहाँ- तहाँ आवारा घूमते पशुओं के प्रबंधन के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार द्वारा जिस.. गोधन न्याय योजना.. की हाल ही में घोषणा की गई है, वह गौ वंश एवं प्रदेश की बेहतरी के लिये एक स्वागत योग्य पहल है , जिसके द्वारा गौ तस्करों के काले धन्धे पर भी लगाम कसी जा सकेगी, ऐसी आशा की जा सकती है । संचार माध्यमों के अनुसार भारतवर्ष में सबसे अधिक गौशालाएं हैं, फिर भी सबसे अधिक बेसहारा पशु सड़कों पर दिखाई देते हैं, जिसका फायदा उठाकर गौ तस्करों के गिरोह अपने काले धंधे को जारी रखने में सफल हो जाते हैं । जिस देश में प्राचीन काल से ही गायों को माता कहकर उनके पूजन की परम्परा रही हो, उसी देश में गौ वंश के साथ अन्याय अत्यंत दुख एवम् लज्जा की बात है ।

स्मरणीय है कि गौवंश के रक्षण और संवर्धन का प्रावधान भारतीय संविधान में किया गया है । अनेक राज्यों में गो हत्या पर प्रतिबंध लगा हुआ है ।गाय को माता का स्थान इसलिए दिया गया है कि वह अत्यंत उपयोगी एवं महत्वपूर्ण है । इस दृष्टि से कुछ बिंदु विशेष रूप से विचारणीय हैं जैसे.--

: गाय की रीढ़ में स्थित सूर्यकेतु नाड़ी में सर्व रोग नाशक शक्ति होती है ।

: देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम ३०० करोड़ लाभकारी जीवाणु होते हैं ।

: पंडित मदन मोहन मालवीय ने अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त कर ते हुए कहा था कि भारतीय संविधान की पहली धारा सम्पूर्ण गौहत्या निषेध की बने ।

गौवंशीय पशु अधिनियम 1995 - गौहत्या के अपराधी के लिए 10 वर्ष तक के कारावास और 10,000 रू. तक के अर्थदण्ड का आदेश देता है।

भारत की सनातनी संस्कृति के चार मुख्य आधार स्तम्भों में ‘गाय’ का महत्वपूर्ण स्थान है। इस तथ्य को पुष्ट करने के लिए निम्नलिखित दो पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं -

भारतवर्श की इस माटी की, महिमा अपरम्पार। गौ, गंगा, गीता, गायत्री का, मिला इसे आधार ।। गाय से प्राप्त पंचगव्य और गोरोचन के विविध उपयोग का विवरण हमें आयुर्वेद में मिलता है। मनुष्य को जन्म देने वाली माता कुछ महीनों तक अपने बच्चों को अपना दूध पिला कर पोषण करती है, इसलिए कहा जाता है कि माँ के दूध का कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता, फिर गाय तो निःस्वार्थ भाव से जीवन भर अपना दूध पिलाकर सबका पोषण करती है। संविधान के अनुच्छेद 48 में इस बात की व्यवस्था है कि सरकार इस बात को देखे कि गाय, गौवंश और जितने भी दुधारू पशु हैं, उनका वध न हो। गाय परोपकारी होने के साथ-साथ हमारे श्रद्धा भक्ति के कृत्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

हमारे सभी धार्मिक कृत्यों का आरम्भ कर्मकाण्ड, यज्ञ हवन के साथ होता है और इन कृत्यों का आरम्भ दूध, दही, घी के बिना नहीं होता। युगों-युगों से गौमाता हमारा लालन पालन करती आ रही है। गाय की महिमा को शब्दों में नहीं बांधा जा सकता, किन्तु गाय को नमन करते हुए गौवंश के संरक्षण, संवर्धन का संकल्प लेकर उसे पूरा करने में सार्थक सहयोग तो दिया जा सकता है। विगत सैकड़ों वर्षों से कामधेनू , कपिला , सुरभि आदि गायों की संतानों पर होने वाले अत्याचारों को रोकने के लिये पहला बड़ा संकल्प आनंदवन, पथमेड़ा ( राजस्थान ) में लिया गया और वहीं से सन् 1993 में राष्ट्रव्यापी रचनात्मक गोसेवा अभियान का शुभारंभ हुआ । इस अभियान के कारण लाखों गौवंश के प्राणों को क्रूर कसाइयों के चंगुल से तथा भयंकर अकाल की पीड़ा से बचा लिया गया । सन् 1993 में मात्र आठ गायों से आरम्भ हुए इस अभियान में अब लगभग सवा लाख गायें हैं । पथमेड़ा भारतवर्ष का वही पावन भूखण्ड है जिसे श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र से द्वारका जाते समय श्रावण मास में रुक कर वृंदावन से लाई गई भूमंडल की सर्वाधिक दुधारु और सौम्य गायों के चरने और विचरने के लिये चुना था । पिछले कुछ दशकों से देश के अन्य भागों में भी गौवंश के समुचित संरक्षण के लिये ऐसी ही किसी कार्ययोजना की आवश्यकता महसूस की जा रही है ।

छत्तीसगढ़ के किसान मुख्यमंत्री द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिये .. नरवा -गरवा - घरवा -बाड़ी , गोठान और रोका - छेका की सशक्त कड़ी के रूप में घोषित जिस .. गोधन न्याय योजना .. का शुभारंभ लोकपर्व हरेली के अवसर पर किया जाना है , उसमें गोधन का सम्मान निहित है, अत : उस पर पूरी ईमानदारी के साथ सभी स्तरों पर काम करने की आवश्यकता है । देश में 2019 की गणना के अनुसार कुल मादा गायों की संख्या लगभग 14.51 करोड़ बताई गई है, जो पिछली 2012 की गणना की तुलना में 18% अधिक है और दुधारु भैंसों की कुल संख्या लगभग 109. 85 करोड़, जो 2012 की गणना की तुलना में 1.0 % अधिक है । छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखा जाए, तो यहाँ लगभग 1.27 करोड़ पशुधन की संख्या में गौवंशीय पशुओं की संख्या 64% है । प्रदेश के 19720 गाँवों में लगभग 20000 गोठान तैयार किये जाने की योजना है, जिसमें से अब तक 2500 गोठान तैयार किये जाने का अनुमान है । गोठान तैयार करने के लिये सरकार द्वारा 10000/- प्रतिमाह दिये जी रहे हैं । प्रदेश के सभी गोठानों की व्यवस्था के लिये इसी दर से भुगतान हो तो, वर्ष में लगभग 240 करोड़ रुपये लगाने होंगे । छत्तीसगढ़ में कुल 56 गौरक्षक संघ अधिकृत रूप से कार्यरत बताए जाते हैं और हजारों फर्जी संस्थाएं भी गोरक्षा के नाम पर अवांछनीय कार्यों में संलिप्त हैं, जिनकी सभी गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगाना अनिवार्य है । पशुधन विकास विभाग की योजनाओं पर व्यवस्थित ढंग से पूर्व की अपेक्षा अधिक तत्परता से काम होता रहे । उन्नत मादा वत्स पालन योजना को विस्तार मिले, जिसका उद्देश्य गोवंशी पशु की नस्ल सुधार होने के साथ साथ इन पशुओं को कुपोषण से बचाना भी हो ।

राज्य डेयरी उद्यमिता विकास योजना के क्रियान्वयन में अब इस बात का ध्यान रखना आवश्यक हो कि दुग्ध डेयरी का काम आरंभ करने के लिये नाबार्ड तथा अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने की प्रक्रिया उद्यमियों के हित एवम् उनकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनें । गोधन न्याय योजना से यह आशा भी की जा रही है कि गौवंश एवम् अन्य पालतू पशुओं के टीकाकरण , उनके स्वास्थ्य की जाँच तथा समय पर इलाज़ की व्यवस्था अधिक कारगर ढ़ंग से सुनिश्चित की जा सकेगी । गोबर एवम् गोमूत्र दोनों को धनार्जन से जोड़े जाने की योजना मूर्त रूप लेती है तो, गाँवों में रोजगार और अतिरिक्त आय के साधन बढ़ेंगे । छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जो पशुपालकों को लाभ पहुँचाने के लिये उनसे गोबर खरीदेगा । गौ पालन और गौ प्रबंधन के नये तरीके अपनाने से पशुपालकों को अनेक लाभ होंगे । शासन द्वारा निर्धारित दरों पर ही किसानों और पशुपालकों से गोबर की खरीदी होगी, जिसके जरिये बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया जाएगा ।गौठानों में पशुधन की संख्या और गौठान के रकबे को ध्यान में रखते हुए वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने के लिये पक्के टाँके निर्मित होंगे । गोबर संग्रहण का काम गौठान समिति अथवा महिला स्व सहायता समूह द्वारा होगा , जिनके लिये यह कार्य अतिरिक्त आय का साधन होगा । शहरी क्षेत्रों में भी इस योजना के अन्तर्गत गौठानों का निर्माण होगा । वर्मी कम्पोस्ट की आवश्यकता किसानों के साथ साथ उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन विभाग तथा वन विभाग को भी बड़ी मात्रा में होती है । . सहकारी समितियों से वर्मी कंपोस्ट की बिक्री उचित दर पर की जाएगी । गोबर गैस प्लांट्स लगने से उद्यमियों को लाभ पहुँचने के साथ साथ ऊर्जा का अतिरिक्त विकल्प तैयार होता रहेगा ।

देश में गौवंश के संरक्षण -सम्वर्धन, वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन को बढ़ावा देने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिये अपने अभियान में भूपेश बघेल सरकार जो योजनाएं लेकर उन पर निष्ठापूर्वक काम करने के लिये दृढ संकल्पित है, वे इस क्षेत्र में अनुकरणीय मिसाल होंगी । पशुपालन विभाग और नाबार्ड से सब्सिडी के साथ ही जब गोधन न्याय योजना भी सभी स्तरों पर पूरी ईमानदारी के साथ संचालित होगी, तो न केवल गौ वंश के साथ कुछ न्याय होगा बल्कि गोपालकों और डेयरी उद्योग की स्थिति भी बेहतर होगी जिसके फलस्वरूप ग्रामीण अर्थव्यवस्था में वांछित सुधार होगा , जो भारतवर्ष की आर्थिक स्थिति को उन्नत करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान सिद्ध होगा ।

-उर्मिला देवी उर्मि रायपुर, छत्तीसगढ़