जितिन के बीजेपी " इन " पर मची राजनीतिक गलियारे में हलचल..ख़बरगली विशेष

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पहले सपा प्रवेश का प्रयास किया था जितिन ने..जिन्हें बीजेपी कभी 'लुटियंस एलीट' कहती थी

नई दिल्ली (khabargali) उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने बुधवार को बीजेपी का दामन थाम लिया। जिन जितिन प्रसाद को बंगाल चुनाव में कांग्रेस को जिताने के लिए प्रभारी बनाकर भेजा गया था, वही प्रभारी का परिणामों के एक महीने के भीतर ही भाजपा प्रवेश करने के इस सियासी उठापटक को कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। जितिन लंबे समय से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस में सचिन पायलट, ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद की तिकड़ी मशहूर थी, जिसमें दो भाजपा में जा चुके हैं। अब इस तिकड़ी में केवल सचिन पायलट बचे हैं।

बीजेपी कभी 'लुटियंस एलीट' कहकर बुलाती थी

दूसरी ओर, बीजेपी द्वारा प्रसन्नतापूर्वक उनका स्वागत करना कई सवाल उठाता है। प्रसाद एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता राजीव गांधी के सचिव थे। उनका पालन-पोषण बेहतरीन परिस्थितियों में हुआ। वो वैसी ही शख्सियत हैं, जिन्हें बीजेपी अक्सर 'लुटियंस एलीट' कहकर बुलाती थी।

सपा प्रवेश का प्रयास किया था

कहा जा रहा है कि, जितिन प्रसाद बीजेपी की सदस्यता ग्राहण करने से पहले समाजवादी पार्टी में अपना सियासी भविष्य तलाशने के लिए कुछ दिन पहले अखिलेश यादव से भी मिले थे। सपा के साथ उनकी बात नहीं बनी तब बीजेपी के साथ उन्होंने अपनी राजनीतिक पारी बढ़ाने का फैसला किया। जितिन प्रसाद के बीजेपी में जाने पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि जितिन प्रसाद को कांग्रेस ने क्या कुछ नहीं दिया। इसके बावजूद उन्होंने कांग्रेस के साथ विश्वासघात किया है। वो संघर्ष जानते ही नहीं है, उन्हें सड़क पर उतरकर लोगों के लड़ाई लड़ते किसी ने देखा है।

जितिन को कूड़ा और भाजपा को कूड़ेदान कहा

मध्यप्रदेश कांग्रेस ने जितिन प्रसाद की तुलना कूड़े और भाजपा की तुलना कूड़ेदान से की। साथ ही, पार्टी छोड़ने पर खुशी भी जाहिर की। कांग्रेस ने ट्वीट में लिखा, 'जितिन प्रसाद के जाने से कांग्रेस खुश है। ये एक कूड़ा कूड़ेदान में डालने जैसी सामान्य प्रक्रिया है।' यह ट्वीट मध्यप्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल से किया गया था, जिसे बाद में डिलीट कर दिया गया।

दिग्विजय सिंह ने यह तंज कसा

दिग्विजय ने अपने ट्वीट में लिखा- जब जब भाजपाइयों का ईमान और चरित्र डिगा, तब तब किसी अन्य दल का छोटा - बड़ा नेता बिकता है। राष्ट्रवाद की आड़ में चरित्र जाए भाड़ में, सत्ता का खून लग गया सत्तालोलुपों की दाढ़ में।

कांग्रेस की बागी विधायक अदिति का यह बयान आया

वहीं कांग्रेस की बागी विधायक अदिति सिंह ने इसे बड़ी क्षति बताया है। उनका कहना है कि कांग्रेस आज एक परिवार की पार्टी बनती जा रही है। ऐसे में कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए।

मिलिंद देवड़ा ने भी यह कह चर्चा को हवा दी

इस बीच मिलिंद देवड़ा ने गुजरात सरकार के कामकाज को अनुकरणीय बता कर कांग्रेस की चिंता और बढ़ा दी है। सचिन पायलट और मिलिंद देवड़ा ऐसे युवा कांग्रेस नेताओं में शुमार हैं, जिनकी नाराजगी पर अक्‍सर सियासी अटकलों का बाजार गर्म हो जाता है। कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने अपने ट्विटर अकाउंट पर सीएमओ गुजरात का एक ट्वीट शेयर करते हुए गुजरात सरकार के काम को अच्‍छा बताया है। देवड़ा ने लिखा है- दूसरे राज्‍यों के लिए यह अनुकरण करने योग्‍य एक स्वागत वाला कदम है। उन्‍होंने कहा है कि यदि हम भारत के आतिथ्य क्षेत्र में और नौकरियों के नुकसान को रोकना चाहते हैं तो सभी राज्यों को तत्काल आगे आना चाहिए।

अब सचिन पायलट पर सबकी निगाहें

जितिन प्रसाद सचिन पायलट के दोस्त हैं, ऐसे हालात में अब सचिन पायलट अगला कदम क्या उठाते हैं, इस पर सबकी निगाहें हैं। हालांकि आज प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने पर सचिन पायलट ने दुख जताया है। पायलट ने एक अंग्रेजी चैनल से कहा कि जतिन प्रसाद का कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में जाने पर दुख हुआ। गौरतलब है कि सचिन पायलट की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खींचतान लगातार बढ़ती ही जा रही है। पिछले साल बगावत के बाद हुई सुलह की वजह से पायलट 18 विधायकों के साथ वापस लौटे थे। तब उनसे किए गए वादे अब भी पूरे नहीं हुए हैं। बताया जाता है कि उनके समर्थक विधायकों को भी तोड़ने की कवायद जारी है।

कौन हैं जतिन प्रसाद

कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे हैं. जिन्होंने पार्टी में कई अहम ओहदों पर अपनी खिदमत दी थीं। जितिन ने 2004 में शाहजहांपुर से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता था और उन्हें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कयादत वाली UPA सरकार में इस्पात राज्यमंत्री बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने 2009 में धौरहरा सीट से जीत दर्ज की। फिर उन्होंने UPA सरकार में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस, सड़क परिवहन और राजमार्ग और मानव, संसाधन विकास राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली।