Poor Children

बीती रात मां के साथ हुई बहस कहा सेंटा नहीं आते, मां ने समझाया तो खुद सैंटा बनकर बच्चों को बांटे तोहफे

रायपुर (khabargali) उपहार हमारी परंपराओं का हिस्सा है लेकिन ये ही उपहार किसी जरूरतमंद के जीवन में कुछ पल के लिए ही सच्ची खुशी ला दे तो इसकी सार्थकता कई गुना बढ़ जाती है। आज क्रिसमस है और सांताक्लॉज़ के आकर गिफ्ट देने की परिकथा हम सब ने बहुत सुनी और पढ़ी है। ऐसे में हम ही अगर सेंटा बन कुछ ऐसी फल करें कि किसी जरूरतमंद के चेहरे में मुस्कान ले आएं। कुछ ऐसी ही सार्थक पहल राजधानी की 9 साल की बच्ची आशिता अग्रवाल ने की है। उसने अपनी माँ से क्रिसमस का महत्व स