खुलासा: देश में बिकीं 47% खराब गुणवत्ता की एंटीबायोटिक

Airbags, seat belts on the rear seats will be mandatory, Road Transport and Highways Minister Nitin Gadkari, Khabargali

बावजूद इन दवाओं का उत्पादन हुआ और इनकी बिक्री भी खूब हुई

 नई दिल्ली (khabargali)एक चिकित्सकीय अध्ययन में खुलासा हुआ है कि साल 2019 में भारत में इस्तेमाल 47% एंटीबायोटिक दवाओं के फॉर्मूलेशन अस्वीकृत मिले। खुलासे के अनुसार कोरोना महामारी से भी पहले के वर्ष में दवाओं के उत्पादन को लेकर स्थिति काफी गंभीर रही है। यह फॉर्मूलेशन देश के केंद्रीय दवा नियामक द्वारा अनुमोदित नहीं किए गए। बावजूद इसके दवाओं का उत्पादन हुआ और इनकी बाजारों में बिक्री भी खूब हुई।

अध्ययन में ये बताया गया

मेडिकल जर्नल द लैंसेट रीजनल हेल्थ-साउथ ईस्ट एशिया में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि जिस एजिथ्रोमाइसिन की 500 एमजी गोली को कोरोना काल के दौरान गले में खराश, दर्द के लिए दिया जा रहा था, दरअसल वह दवा भारत में सबसे अधिक खपत वाली एंटीबायोटिक फॉर्मूलेशन थी। इसका इस्तेमाल 7.6 फीसदी था, जबकि दूसरे नंबर पर सिफिक्साईम 200 एमजी थी, जिसका इस्तेमाल 6.5 फीसदी रहा।

इन दवाओं की इतनी हुई खपत

अध्ययन में यह भी बताया गया कि साल 2019 में कुल परिभाषित दैनिक खुराक (डीडीडी) की खपत 50.7 करोड़ थी, जो प्रति दिन प्रति एक हजार की जनसंख्या पर 10.4 डीडीडी थी। आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची में शामिल फॉर्मूलेशन ने देश में 49.0% (24.8 करोड़ डीडीडी) का योगदान दिया, फिक्स्ड-डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) ने 34.0% (17.2 करोड़) का योगदान दिया। इसके अलावा अस्वीकृत फॉर्मूलेशन ने 47.1% (24 करोड़ डीडीडी) प्रयोग हुआ।

अध्ययन में ये रहे शामिल

बोस्टन यूनिवर्सिटी, यूएस और नई दिल्ली स्थित पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने मिलकर अध्ययन पूरा किया है, जिसमें निजी क्षेत्र के एंटीबायोटिक उपयोग की जांच की गई जो भारत में कुल खपत का 85 फीसदी से अधिक है। अध्ययन में कहा गया है, भारत में एंटीबायोटिक दवाओं की प्रति व्यक्ति खपत दर कई देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। इसके बावजूद भारत बड़ी मात्रा में व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक दवाओं का उपभोग करता है, जिन्हें आदर्श रूप से कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए।