नई दिल्ली (khabargali) हिंदी साहित्य की मशहूर लेखिका मन्नू भंडारी का सोमवार की दोपहर मे 91 वर्ष की आयु मे निधन हो गया है। हरियाणा के गुरुग्राम स्थित एक निजी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। ‘ आंखों देखा झूठ, आपका बंटी जैसे लोकप्रिय उपन्यासों के लिए चर्चित रहीं मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल, 1931 को हुआ था। उनके निधन से हिंदी साहित्य जगत की एक पीढ़ी का अवसान हो गया है। भोपाल में जन्मीं मन्नू भंडारी नई कहानी आंदोलन का हिस्सा रही हैं, जिसकी शुरुआत निर्मला वर्मा, राजेंद्र यादव, भीष्म साहनी, कमलेश्वर जैसे लेखकों ने की थी। उनके साथ ही मन्नू भंडारी का पहला उपन्यास ‘एक इंच मुस्कान’ 1961 में प्रकाशित हुआ था। इस उपन्यास को उन्होंने राजेंद्र यादव के साथ ही मिलकर लिखा था। यह उपन्यास काफी लोकप्रिय हुआ था, जिसमें दो महिलाओं की एक ही पुरुष से प्रेम कहानी दिखाई गई थी। इस उपन्यास के पुरुष संवादों को राजेंद्र यादव ने लिखा था, जबकि दोनों महिलाओं को अभिव्यक्त करने का काम मन्नू भंडारी ने किया था। इसके अलावा मन्नू भंडारी की कहानी 'यही सच है' पर 'रजनीगंधा' फिल्म बनाई गई। इसे बासु चटर्जी ने बनाया था। मन्नू भंडारी ने 'मैं हार गई', 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'एक प्लेट सैलाब', और 'त्रिशंकु' जैसी कई कहानियां लिखीं।
पुरुषवादी मानसिकता पर की चोट
मन्नू भंडारी पुरुषवादी मानसिकता के खिलाफ मुखर लेखन करती थीं। मन्नू भंडारी उन लेखिकाओं में से रही हैं, जिन्होंने आजादी के बाद के भारत की आकांक्षी महिलाओं की कहानियों को लिखा है। उनकी कहानियों और उपन्यासों में महिला किरदारों के संघर्ष और समाज में उनकी स्थिति का चित्रण किया गया है। उनके महिला किरदार पुरानी रुढ़ियों को तोड़ते, स्वतंत्र अस्तित्व की बात करते दिखते हैं। उन्होंने 'त्रिशंकु' में अपने परिवार के लोगों पर कटाक्ष किया है। उन्होंने इस रचना के बहाने आधुनिक होने का दंभ करने वाले समाज पर चोट की।
मंगलवार को दिल्ली में होगा अंतिम संस्कार
रचना ने बताया कि मन्नू भंडारी का अंतिम संस्कार मंगलवार को दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में किया जाएगा। तीन अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले स्थित भानपुरा गांव में जन्मीं भंडारी प्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी थीं। उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में अध्यापिका के पद पर भी अपनी सेवाएं दी ।
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