अब छत्तीसगढ़ में पार्षद ही चुनेंगे अध्यक्ष और महापौर, भाजपा विरोध में

raipur nagar nigam

ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से होगा चुनाव, मंत्रिमंडल समिति ने लिया फैसला

अप्रत्यक्ष प्रणाली के फैसले के विरोध में भाजपा , धरना प्रदर्शन कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगी

रायपुर (khabargali) मध्यप्रदेश की तरह अब छत्तीसगढ़ में भी स्थानीय निकाय चुनाव में नगरपालिकाओं, निगमों के प्रमुखों का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से किया जाएगा। साथ ही ईवीएम की जगह बैलेट पेपर का प्रयोग किया जाएगा। नगर पालिका अध्यक्ष और मेयर तय आरक्षण के आधार ही जो पात्र उम्मीदवार होंगे, वही बनेंगे।

मंगलवार को मंत्रीमंडलीय उपसमिति की बैठक के बाद मंत्रियों ने यह ऐलान किया।बैठक के बाद समिति में शामिल केबिनेट मंत्री शिव डहरिया, मोहम्मद अकबर और रविन्द्र चौबे ने मंत्रालय में प्रेस कांफ्रेंस कर ये जानकारी दी मंत्री शिव डहरिया ने कहा कि मसौदा तैयार है, कैबिनेट में इसके लिए प्रस्ताव रखा जाएगा।  मतपत्रों से ही नगरीय निकायों का चुनाव होगा. आरक्षण रोस्टर के आधार पर जो पात्र है वही मेयर बन सकता है.
वहीं खरीद फरोख्त की आशंका को लेकर वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा ऐसा कुछ नहीं होगा. निर्वाचन व्यय में कमी को लेकर यह निर्णय लेना आवश्यक था. सीमित साधन में भी पार्षद बन सकते हैं. जनता को उनके वास्तविक अधिकार मिलने चाहिए इसलिए यह फैसला किया गया.
बता दें कि बीजेपी इस फैसले का विरोध कर रही है. बीजेपी ने कांग्रेस पर सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

गौरतलब है कि साल 1994 में अविभाज्य एमपी में महापौर और अध्यक्ष पार्षद करते थे. इसके बाद साल 1999 से इनका चुनाव, विधायक -सासंद की तरह सीधे जनता के द्वारा होता आ रहा है।

 फैसले के विरोध में भाजपा 16 अक्टूबर को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन 

महापौर और अध्यक्ष का अप्रत्यक्ष तरीके से चुनाव कराने के सरकार के फैसला का विरोध शुरु हो गया है. इस संबंध में भाजपा नेताओं ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि कांग्रेस सरकार अपनी विफलता से डरी हुई है, इस कारण जनता से सीधे अध्यक्ष व महापौर चुनने का अधिकार मतदाताओ से छीनना चाहती है. जिसका हर स्तर पर विरोध करने का निर्णय भाजपा ने किया है.  फैसले के विरोध में भाजपा 16 अक्टूबर को एक दिवसीय धरना प्रदर्शन करेगी. मोतीबाग के पास आयोजित धरना-प्रदर्शन के पश्चात भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल अनुसूईया उइके को सरकार के इस फैसले के विरोध में ज्ञापन सौंपेंगे और उनसे अध्यादेश पर अपनी सहमती न प्रदान करने का आग्रह भी करेंगे.

Related Articles